साल 2022 का आखिरी चंद्र ग्रहण 08 नवंबर को लगने जा रहा है, इस दिन कार्तिक पूर्णिमा है। यह चंद्र ग्रहण भारत के कई हिस्सों समेत ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी-दक्षिण अमेरिका और पूर्वी यूरोप में नजर आएगा।
चंद्र ग्रहण का स्पर्श दिन में 2 बजकर 39 मिनिट पर होगा , ग्रहण का मध्य सांय काल 4 बजकर 29 मिनिट एवं ग्रहण का मोक्ष काल चन्द्रोदय के बाद शाम 6 बजकर 19 मिनिट पर होगा।
विभिन्न स्थानों पर चन्द्रोदय का समय भिन्न भिन्न होने से सभी स्थलों पर वहां के सूर्यास्त अथवा चन्द्रोदय काल से ग्रहण का प्रारम्भ होगा , परन्तु ग्रहण का समाप्तिकाल एक ही अर्थात 6 बजकर 19 मिनिट (स्टैण्डर्ड टाइम 18 :19 ) ही रहेगा।
अर्थात शाम 6 बजकर 19 मिनिट पर सभी स्थानों पर ग्रहण समाप्तः हो जायेगा।
जैसे उज्जैन में चन्द्रोदय 17 :43 , इंदौर में चन्द्रोदय 17 :43 (भारतीय स्टैण्डर्ड टाइम ) (ग्रस्तोदित चंद्रग्रहण)
आइए जानते हैं चंद्रग्रहण का सूतक काल क्या है?
यह चद्रग्रहण ग्रस्तोदित होने पर ग्रहण लगने से चार प्रहर पूर्व से अर्थात प्रातः काल सूर्योदय से ग्रहण का सूतक (वेध ) प्रारम्भ हो जायेगा।
इस सूतक (वेधकाल) के आरम्भ होते ही आस्तिक लोगो को भोजन , शयन , तथा अन्य सांसारिक सुखों का त्याग कर मानसिक देवचिन्तन करते रहना चाहिए।
ग्रहण की समयावधि -पर्वकाल में अपने अपने ईस्टदेवता की आराधना करनी चाहिए।
यह ग्रहण भरणी नक्षत्र और मेष राशि में होगा। अतएव जिनका भरणी नक्षत्र व मेष राशि है उनके लिए अशुभफलदायक रहेगा।
यह ग्रहण मेष राशि में होने की वजह से आंध्रप्रदेश , पंजाब, तेलंगाना आदि क्षेत्रों के लिए पीड़ाकारक है।
भरणी नक्षत्र में होने से सफ़ेद वस्त्र, रुई, कपास व सोने में तेज़ी, मंगलवार को होने से राई , मेथी , सुपारी ,अलसी और गेहूं में तेज़ी का वातावरण बनेगा।
वैसे कार्तिक मास में ग्रहण होना शुभफलदायक है - सूर्यचन्द्रमसोगृह शुभकरो मार्गे तथा कार्तिके ...
कार्तिक अमावस्या में सूर्य ग्रहण के पंद्रह दिन पश्चात यह चंद्रग्रहण होना धर्मवृद्धि (आधात्मिक अब्भुन्नति सत्यपुरुषो का उदय तथा सुख शांति कारक है)।
कार्तिक मास में सूर्यग्रहण ग्रस्तास्त व यह चंद्रग्रहण ग्रस्तोदित होना राजाओ (सत्तादीशो ) व धान्यादि के लिए अरिष्ट प्रद है , कही राजविग्रह की स्तिथि होगी।
सूतक काल और ग्रहण के दौरान क्या न करे :-
सूतक काल में मंदिरों के कपाट बंद हो जाएंगे। चंद्र ग्रहण समाप्त होने के बाद ही मंदिरों के कपाट खोले जाएंगे। सूतक काल और ग्रहण काल के दौरान भजन कीर्तन करना चाहिए।
ग्रहण के बाद मंदिर के पट खोले जाते हैं और मंदिर का साफ-सफाई कर शुद्धिकरण करने के बाद पूजा पाठ की जाती है। कार्तिक पूर्णिमा होने के कारण इस दिन दीप दान ग्रहण छूटने के बाद कियाजा सकता है, इसके अलावा अगले दिन या एक दिन पहले भी स्नान-दान और दीपदान किया जा सकता है।
मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के दिन भोजन आदि खाद्य पदार्थों में भी तुलसी की पत्ती डालकर ही उन्हें ग्रहण किया जाता है। ग्रहण में जो भी दान दिया जाता है, दान अमृत तुल्य माना जाता है।
ग्रहण के बाद लाल कपड़ा, तांबे के पात्र, मसूर दाल, गेंहू, लाल फल , चावल , सफ़ेद वस्त्र आदि का दान करना बेहत उत्तम माना गया है। वैदिक सभ्यता के अनुसार ग्रहण के बाद इन चीजों का दान करने से कुंडली में मौजूद ग्रहों के सभी दोष दूर होते हैं और शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
पंडित डॉ. मनीष शर्मा
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बाबा पंडित
चंद्र ग्रहण 8 नवंबर 2022
- 02 Nov 2022