किसानों को प्रति हेक्टेयर 500 से 2000 बढ़ेगा फसल मुआवजा, लाइनमैन को 1000 जोखिम भत्ता
भोपाल। चुनावी साल में सरकार के द्वारा सभी वर्ग का ध्यान रखा जा रहा है। इसमें सबसे ज्यादा फोकस व्यापारी और किसानों पर किया जा रहा है। दरअलस अब ओलावृष्टि या बारिश से फसलों को नुकसान पहुंचता है तो किसानों को प्रति हेक्टेयर 500 से 2000 रुपए ज्यादा मिलेंगे। इसके साथ ही आउटसोर्स के तहत बिजली का काम कर रहे लाइनमैनों को भी 1000 रुपए जोखिम भत्ता मिलेगा।
मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इन प्रस्तावों को मंजूरी मिली। बढ़ा फसल मुआवजा 1 मार्च 2023 से लागू होगा। छोटे (2 हेक्टेयर तक) और बड़े किसानों (2 हेक्टेयर से अधिक) की अलग -अलग कैटेगरी बनाई गई हैं। वर्षा आधारित, सिंचित और बारामाही फसलों में मुआवजा बढ़ाया गया है।
नुकसान प्रति हेक्टेयर (0 से 2 हेक्टेयर तक के किसान)
25 से 33 प्रतिशत नुकसान- वर्षा वाली सिंचित बारामाही
5,500 9,500 9,500 (छह माह से कम अवधि में खराब)
16,000 (छह माह से अधिक अवधि में खराब)
(19,000 रुपए सब्जी, मसाले तथा ईसबगोल की खेती के लिए)
33 से 50 प्रतिशत नुकसान- वर्षा वाली सिंचित बारामाही
8,500 16,000 19,000 (छह माह से कम अवधि में खराब)
21,000 (छह माह से अधिक अवधि में खराब)
(सब्जी, मसाले और ईसबगोल की खेती वालों के लिए 27,000 रुपए। सैरीकल्चर के लिए 6,500 रुपए और मूंगा के लिए 8,000 रुपए।)
बारिश-ओलों से 30 हजार हेक्टेयर से अधिक फसल खराब
इस बार मार्च महीने में प्रदेश के ज्यादातर जिलों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि हुई। इनकी वजह से इस साल अब तक 20 से ज्यादा जिलों में किसानों की 30 हजार हेक्टेयर से अधिक फसल खराब हो चुकी है। लगभग 38 हजार किसान परिवार इससे प्रभावित हुए। सबसे अधिक नुकसान रबी की फसल को हुआ है।
45 नई दीनदयाल रसोई को मंजूरी
दूसरे चरण में 26 फरवरी 2021 में बनी 100 दीनदयाल रसोई केंद्रों के अतिरिक्त 20 निकायों में 20 नए और 16 नगर निगमों के साथ पीथमपुर व मंडीदीप में कुल 25 नए चलित दीनदयाल रसोई केंद्र खुलेंगे। इन केंद्रों में 10 रुपए में भोजन दिया जाता है। अब तक एक करोड़ 62 लाख थालियों का वितरण किया जा चुका है।
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व्यापारियों की भी सुन रही सरकार
ट्रेड लाइसेंस पूर्व की भांति ही लागू रहेगा
भोपाल। व्यापारियों के बढ़ते विरोध के बाद अंतत: राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश नगर पालिका व्यापार अनुज्ञापन नियम 2023 को मंगलवार को स्थगित कर दिया है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने 21 अप्रैल को इस नियम की अधिसूचना जारी की थी। पांचवें दिन ही इसे स्थगित करना पड़ा। हालांकि इन नियमों के लागू होने के पहले जिन नगरीय निकायों द्वारा मध्य प्रदेश नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 अथवा मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनयम 1961 के प्रविधानों के अनुसार निकाय स्तर पर व्यापार विनियमन के लिए व्यापार अनुज्ञप्ति (ट्रेड लाइसेंस) जारी करने के लिए शुल्क निर्धारित करके नियम लागू किए गए हैं, वह पूर्वानुसार लागू रहेंगे। उल्लेखनीय है कि नवीन नियमों के प्रकाशित होने के बाद विभिन्न नगरों संबद्ध व्यवसायियों, व्यापार समूहों एवं निकायों के स्थानीय जन-प्रतिनिधियों द्वारा नियमों में विसंगतियों की ओर ध्यान आकृष्ट किया गया था। साथ ही इसका जमकर विरोध भी किया जा रहा था। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश के बाद इस नियम के क्रियान्वयन को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है।
शुरू हो गया था विरोध
नगरीय विकास और आवास विभाग ने मप्र नगरपालिका व्यापार अनुज्ञापन नियम में संशोधन कर प्रदेश के किसी भी शहर कस्बे में व्यापार करने पर नया टैक्स लागू कर दिया था। सभी नगर पालिक निगम, नगरपालिक परिषद और नगर परिषद व्यापारियों से उनके व्यवसाय स्थल यानी दुकान के क्षेत्रफल के हिसाब से कर वसूलने की व्यवस्था थी। यह नया कर संपत्तिकर, विज्ञापन कर और पहले से लागू अन्य शुल्कों के अतिरिक्त था। निगम को सड़क की चौड़ाई के अनुपात में प्रति वर्गफीट चार से छह रुपये, नगरपालिक परिषद को तीन से पांच रुपये और नगर परिषद को दो से चार रुपये प्रति वर्ग फीट टैक्स सालाना वसूलने के अधिकार दे दिए थे। हालांकि नगर निगम के लिए अधिकतम सीमा 50 हजार रुपये, नगर पालिका परिषद के लिए 25 हजार और नगर परिषद के लिए 15 हजार रुपये तक की गई थी। इतना ही नहीं वाहनों से व्यापार करने वालों पर भी टैक्स लगा दिया गया था। नए टैक्स की अधिसूचना होते ही व्यापारियों ने नाराजगी जताते हुए इसे गलत बताया था।
भोपाल
चुनावी साल में लुभा रही सरकार
- 26 Apr 2023