भिंड। भिंड की जिला जेल मध्यप्रदेश की चुनिंदा जेलों में से एक है। इसे चंबल घाटी की तिहाड़ जेल भी कहा जाता है। यहां डकैत निर्भय गुर्जर के गिरोह को 3 साल तक बंद रखा था। इसके अलावा डकैत मानसिंह, राजू कुशवाह और फक्कड़ बाबा भी यहां बंद रहे हैं। अब बिल्डिंग गिरने के बाद यह जेल इतिहास बन जाएगी। भिंड में शनिवार सुबह उपजेल के बैरक 2 और 7 की दीवार अचानक गिर गई। मलबे में 21 कैदी दब गए, जिन्हें दूसरे कैदियों की मदद से निकाला। घटना के बाद उपजेल से 234 कैदियों को ग्वालियर जेल शिफ्ट किया गया है।
जिले में दस्यु उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले रिटायर्ड डीएसपी केडी सोनकिया ने दैनिक भास्कर से चर्चा की। सोनकिया को दो बार राष्ट्रपति से दस्यु उन्मूलन में वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। बता दें, केडी सोनकिया ने सेवाकाल के दौरान 25 एनकाउंटर में 45 बदमाश व डकैतों का सफाया किया है। उन्होंने बताया, पुलिस सेवा में आने के बाद सन 1986 में मेरी पोस्टिंग भिंड में हुई। उस समय मेरी उम्र 27 साल थी। पहली पोस्टिंग के साथ ही मुझे दस्यु उन्मूलन का जिम्मा मिला। जिले में 3 बार पदस्थ हुआ। हर बार डकैतों या बदमाशों के खात्मा की जिम्मेदारी मिली। 90 के दशक में भिंड का शातिर गिरोह रामकुमार पंडित का था। वह जेल में बैठकर सिगरेट के रैपर पर माचिस की बुझी तीली से रुपए अंकित कर देता था। इसे कैश के रूप में व्यापारियों से रुपए वसूलता था। गिरोह के सदस्य को 1991 में एक व्यापारी ने पैसा नहीं दिया, तो जेल से छूटते ही रामकुमार ने एक परिवार के तीन सदस्यों को मार डाला था। इस दौरान भिंड में गुंडों और बीहड़ में डकैतों की समस्या थी। मुझे इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। घटना के बाद रामकुमार पंडित को तीन महीने में मुठभेड़ में मार गिराया था। इसके बाद गिरोह समाप्त हो गया।
भिण्ड
चंबल की तिहाड़ थी भिंड की जिला जेल
- 02 Aug 2021