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व्यक्तित्व विशेष

चन्द्रबली पाण्डेय

  • 25 Apr 2022

(जन्म-25 अप्रॅल, 1904 - मृत्यु- 24 जनवरी, 1958) 
हिन्दी भाषा और साहित्य के उन्नयन, संवर्धन और संरक्षण के लिए समर्पित थे। हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति रहने के अतिरिक्त नागरी प्रचारिणी सभा के भी सभापति रहे। इन्होंने अपना पूरा जीवन अध्ययन और हिंदी प्रचार में लगा दिया। हिंदी उर्दू समस्या तथा सूफ़ी साहित्य और दर्शन से सम्बद्ध इनके विचार ऐतिहासिक महत्त्व के हैं।
चन्द्रबली पाण्डेय का जन्म 25 अप्रैल, सन 1904 (संवत 1961) में आजमगढ़ ज़िला, उत्तर प्रदेश के नसीरुद्दीनपुर नामक गाँव में हुआ था। वे एक साधारण परिवार के सरयूपारीण ब्राह्मण थे। चन्द्रबली पाण्डेय के पिता गाँव में किसान थे और खेतीबाड़ी किया करते थे। पाण्डेय जी ने प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही प्राप्त की थी। 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' से उन्होंने हिन्दी विषय से एम.ए. उत्तीर्ण किया था। वे उर्दू, फ़ारसी और अरबी के विद्वान् थे। हिन्दी के साथ अंग्रेज़ी, उर्दू, फ़ारसी, अरबी तथा प्राकृत भाषाओं के ज्ञाता चन्द्रबली पाण्डेय के सम्बन्ध में भाषा शास्त्री डॉ. सुनीति कुमार चटर्जी की यह उक्ति सटीक है कि- "पाण्डेय जी के एक-एक पैंफलेट भी डॉक्टरेट के लिए पर्याप्त हैं।" आजीवन अविवाहित रहकर चन्द्रबली ने हिन्दी की सेवा की थी। अपनी व्यक्तिगत सुख-सुविधा के लिए चन्द्रबली ने कभी चेष्टा नहीं की थी। चन्द्रबली पाण्डेय द्वारा रचित छोटे-बड़े कुल ग्रन्थों की संख्या लगभग 34 है।विश्वविद्यालय की परिधि से बाहर रहकर हिन्दी में शोध कार्य करने वालों में इनका प्रमुख स्थान है।