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छोटी सी उम्र में बच्चों का चौराहों मे सामान, बेचना मजबूरी या कोई और वजह !

  • 30 Oct 2021

सामान बेचने की आड़ मे छोटे छोटे बच्चों को भीख मांगते देखा जा सकता है,इन  मासूमों को भीख मँगवाने के पीछे कौन है खड़ा?
विनी आहुजा
इंदौर। जिन छोटे छोटे बच्चॉ की पढ़ाई करने खेलने कूदने की उम्र है,वो छोटे छोटे बच्चे लगभग हर चौराहे पर सामान बेचने की आड़ मे भीख मांगते दिखाई देते है।क्या है इनका भविष्य ये  कौन बतायेगा।
चौराहो मे सिग्नल बंद होते ही ये छोटे छोटे बच्चे दौड़कर खड़ी गाड़ियो के पास आ जाते हैं,कभी कुछ  छोटा सामान लेकर बेचने तो कभी  भीख मांगने।फिर पीछे से इनके माताये आ जाती है,जो सिग्नल बंद मे लोगो को टच करके भीख मांगती है।जो बहुत गलत हैं।और ऐसा करने पर जब कोई कुछ बोले और भीख भी ना दे तो गलियाँ देने से भी बाज़ नही आती।और ये छोटे बच्चे तो पीछे ही पड जाते हैं,जिससे आमजनता को परेशानी का सामना करना पड़ता है,और जनता मे एक डर भी रहता है की पता नही कब क्या कर दे ये।वैसे तो इन बच्चों की उम्र सामान बेचने और भीख मांगने की ना होकर पढ़ाई करने की है,पर ये छोटे बच्चे सामान बेचने की आड़ मे भीख मांगने को मजबूर हैं।इसके पीछे आखिर है कौन?? ट्रेफिक मे रुके लोगो का ध्यान उस समय तो उन पर होता है,पर कभी किसी एन जी ओ या प्रशासन के अधिकारीयो ने इनके बचपन के बारे मे नही सोचा। जो सड़को पर भीख मांगने मे व्यतीत होता है।ध्यान से देखा जाये तो इनमे से कई बच्चे नशे के आदी समझ आते है,यह भी ध्यान देने की बात है कि इन मासूम बच्चों के पीछे कौन है जो इस पूरे गिरोह का संचालन करता है।और इस गिरोह के द्वारा और कौन कौन से कार्य इन मासूमों से कराये जाते हैं।इसका पता शासन प्रशासन लगाना बेहद जरुरी है,साथ ही इन मासूमों की पढ़ाई का भी कुछ इन्तजाम होना जरुरी है।शहर मे बहुत सारे एन जी ओ कार्य कर रहे हैं,इन्हे इन मासूम बच्चों के लिये आगे आना चाहिए ताकि इनका बचपन लौट आये।क्या इन बच्चो का हक नही की ये भी दुसरे बच्चों की तरह जीवन व्यतीत करे।पूरे देश मे मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर कई क्षेत्रों मे नंबर वन पर हैं,तो क्या भिक्षावृति मुक्त करवाकर इंदौर शहर नंबर वन नही हो सकता।शासन प्रशासन इस ओर ध्यान दे तो,इन मासूमों के चेहरे पर आ सकती है मुस्कान।