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जानें कस्तूरबा गांधी के बा बनने का सफर

  • 22 Apr 2022

भारत के बापू के तौर पर दुनियाभर में मशहूर मोहनदास करमचंद गांधी को तो हर कोई जानता है। महात्मा गांधी की सीख, अहिंसा, सत्य और आदर्श को लोग जानते, समझते हैं। उनके आदर्शों ने तो उन्हें महात्मा बना दिया लेकिन उन्हें इस महात्मा के पद तक पहुंचने के लिए जिस मार्ग पर चलना पड़ा, उसे आसान बनाने के लिए पग पग पर बापू का साथ एक महिला ने दिया। ये महिला कोई और नहीं बल्कि महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी थीं। अगर गांधी जी देश के हर नागरिक के लिए बापू हैं तो कस्तूरबा सबके लिए बा हैं। बा कि ये उपाधि उन्हें सिर्फ महात्मा गांधी की पत्नी होने के कारण नहीं मिली, बल्कि कस्तूरबा गांधी ने भी आजाद भारत के लिए सपना देखा था। वह जेल गईं। जेल में बंद कैदियों की दशा देख एक मां की तरह तड़पी। बच्चों की तरह भारतीय कैदियों की देखभाल की और बा का दर्जा प्राप्त किया। 11 अप्रैल 1869 को जन्मी कस्तूरबा गांधी के बारे में जाने उनके जीवन से जुड़ी रोचक बातें।
शादी से पहले कस्तूरबा गांधी का जीवन 
कस्तूरबा गांधी एक व्यापारी परिवार की बेटी थीं। उनका जन्म गुजरात के काठियावाड़ जिले में हुआ था। जब वह मात्र 13 साल की थीं तो उनकी शादी मोहनदास करमचंद गांधी से कर दी गई। गांधी जी के पिता और कस्तूरबा का परिवार करीबी दोस्त थे। कस्तूरबा महात्मा गांधी से उम्र में बड़ी थीं। जब दोनों की शादी हुई तो मोहनदास और कस्तूरबा दोनों ही बच्चे थे, लेकिन जब मोहनदास समझदार हुए तो उनके बाल विवाह के विरोध में हो गए।
विवाह
कई किताबों के मुताबिक, कस्तूरबा के प्रति मोहनदास का रवैया भी अच्छा नहीं था। शादी के बाद जहां कस्तूरबा की पढ़ाई बंद हो गई, वहीं मोहनदास ने विदेश में जाकर शिक्षा हासिल की। हालांकि गांधीजी कस्तूरबा को घर पर ही पढ़ाया करते थे। कहा जाता है कि जब गांधी जी विलायत पढ़ने गए तो कस्तूरबा गांधी के गहने बेचकर पैसे जुटाए गए थे।
गांधी जी के साथ
विदेश से लौटकर गांधी जी ने देश की आजादी के लिए संघर्ष शुरू किया। कस्तूरबा ने उनका साथ दिया। गांधी जी उपवास करते, धरना प्रदर्शन करते तो कस्तूरबा उनकी देखभाल करते। गांधी जी जेल गए तो कस्तूरबा भी जेल गईं। गांधी जी जो करते वह सबके सामने था लेकिन कस्तूरबा उनके पीछे रहकर उन्हें घर गृहस्थी छोड़ केवल देश सेवा में लगे रहने के लिए मजबूती देतीं।
'बा' बनने का सफर
कस्तूरबा गांधी ने केवल पत्नी धर्म को पूरा करते हुए गांधी जी का साथ ही नहीं दिया लेकिन खुद भी एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की तरह कार्य किया। दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ गांधी जी ने आंदोलन छेड़ा थी। उस समय कस्तूरबा गांधी भी जेल गई। वहीं कैदियों के साथ होने वाले अत्याचार को उन्हें देखा। वह एक मां की तरह कैदियों का दुख दर्द बांटती थीं। प्रार्थना करना सिखाती थी। यहां से ही लोग उन्हें 'बा' कहने लगे।