Highlights

विविध क्षेत्र

जानें बछेंद्री पाल के पर्वतारोही बनने का सफर

  • 10 Jun 2022

बछेंद्री पाल दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर फतह करने वाली और तिरंगा फहराने वाली पहली भारतीय महिला हैं। इसके साथ ही दुनिया की पांचवी महिला हैं, जो एवरेस्ट पर चढ़ाई कर चुकी हैं। उनकी सफलता और उपलब्धि उस हर एक महिला के लिए प्रेरणा है जो रुढ़िवादी सोच और परंपरागत धारणाओं से निकलकर अपने सपने साकार करना चाहती हैं। स्पोर्ट्स की दिशा में अपनी करियर बनाने वाली महिलाओं के लिए बछेंद्री प्रेरणा हैं। उन्होंने इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की। परिवार नहीं चाहता था कि उनकी बेटी पर्वतारोहण को बतौर करियर चुने लेकिन उन्होंने अपने बचपन के सपने और पहाड़ों व एडवेंचर से अपने प्यार को कभी भुलाया नहीं, बल्कि शिक्षा पूरी करने से साथ ही अपने सपने को भी पूरा किया और इतिहास रचते हुए देश का मान भी बढ़ाया। 
जीवन परिचय
बछेंद्री पाल का जन्म 24 मई 1954 को उत्तरांचल में गढ़वाल जिले के एक छोटे से गाँव नकुरी में हुआ था। उनके पिता का नाम किशनपाल सिंह और मां का नाम हंसा देवी था। बछेंद्री उनके पांच बच्चों में से एक थीं। बछेंद्री पाल के पिता किशन पाल सिंह एक साधारण व्यापारी थे। परिवार का भरण पोषण करने के लिए बछेंद्री पाल गेहूं, चावल और किराने के सामान को खच्चरो पर लादकर तिब्बत ले जाया करते थे और तिब्बती सामान को गढ़वाल लाकर बेचते थे। हालांकि भारत चीन की लड़ाई के बाद उनका व्यवसाय ठप हो गया। जिसके कारण उनका परिवार काशी आकर बस गया।
शिक्षा 
बछेंद्री पाल बच्चन से ही पढ़ाई और खेलकूद में अव्वल थीं। महज 12 साल की उम्र में बछेंद्री स्कूल पिकनिक के दौरान 13 हजार फीट की ऊंचाई पर आसानी से चढ़ गई थीं। उन्हें तब से ही पर्वतारोहण का शौक हो गया। स्कूल पिकनिक के दौरान जब वह अपने सहपाठियों के साथ ऊंची चोटी पर चढ़ीं तभी मौसम खराब हो गया। उनके दल को चोटी पर ही रात गुजारनी पड़ी। खाने पीने के बिना रात भर बछेंद्री और उनके साथी चोटी पर थे लेकिन इससे बछेंद्री का उत्साह और पर्वतो के लिए प्रेम बढ़ गया।
पर्वतारोही बनने का सफर
आर्थिक तंगी के बीच बछेंद्री पाल ने मैट्रिक पास किया और फिर स्नातक किया। वह अपने गांव में ग्रेजुएशन करने वाली पहली महिला थीं। स्नातक की डिग्री लेने के बाद बछेंद्री ने संस्कृत से परास्नातक किया। फिर बीएड किया। उनका सपना पर्वतारोही बनने का था, हालांकि उनके परिवार यह नहीं चाहता था। इसके बावजूद बछेंद्री पाल ने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में दाखिला लिया।
उपलब्धि
साल 1984 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने के लिए अभियान दल का गठन हुआ। इस दल का नाम एवरेस्ट 84 था, जिसमें बछेंद्री पाल भी शामिल थीं। उनके साथ दल में 11 पुरुष और पांच महिलाएं थीं। कड़ी ट्रेनिंग के बाद उसी साल मई में उनका दल अभियान के लिए निकला। खराब मौसम, तूफान और कठिन चढ़ाई का सामना करते हुए 23 मई 1984 के दिन बछेंद्री पाल ने एवरेस्ट पर फतह करते हुए इतिहास रच दिया।