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चिंतन और संवाद

चाणक्य कहते है - जिसके मन में पाप...

  • 09 Dec 2019

चाणक्य कहते हैं, जिसके मन में पाप का वास हो गया है वह बाहर से कितनी भी कोशिश कर ले खुद को साफ दिखाने का उसका मन वैसा ही रहता है। जैसे बर्तन में रखी शराब आग में झुलसने के बाद भी पवित्र नहीं होता है।