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बुरहानपुर

जनजातीय विभाग में 4 करोड़ का घोटाला

  • 22 Jun 2023

3 फरार आरोपियों के खाते फ्रीज कराए, 8 लाख रुपए से अधिक जमा था
बुरहानपुर। जनजातीय विभाग में हुए करीब 4 करोड़ के घोटाला प्रकरण में पुलिस की जांच जारी है। इस मामले में अब तक 5 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। विभागीय लेखा प्रभारी नारायण पाटिल ने अनियमित तरीके से बैंक खाता खोलकर 2010 से 17 के बीच करोड़ों रूपया निकाला था। अकाउंट नर्मदा झाबुआ बैंक में खोला गया था। अब पुलिस बैंक अफसरों की भूमिका की भी जांच करने वाली है। वहीं मामले में फरार चल रहे आरोपी बालचंद पवार, राजेश सावकारे और नरेंद्र महाजन के बैंक खाते पुलिस ने एक दिन पहले फ्रीज करा दिए हैं। खाते में करीब 8 लाख रूपए थे। अब तक पुलिस 15-20 लाख रुपए की रिकवरी भी कर चुकी है।
एसपी राहुल कुमार लोढ़ा के अनुसार, जनजातीय विभाग में अब तक 4 करोड़ का घोटाला उजागर हो चुका है। यहां से अलग-अलग लोगों के खातों में पैसा डाला गया था। पहले चेक से रकम निकाली गई थी। बाद में वही पैसा नारायण पाटिल लेखा प्रभारी को देने की बात भी सामने आई। इस मामले में 5 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। बालचंद पवार, राजेश सावकारे, नरेंद्र महाजन की पुलिस तलाश कर रही है। उनके अकाउंट कल फ्रीज करा दिए हैं। प्रयास कर रहे हैं कि उनके इन्वेस्टमेंट को रोक लगाएं। अलग अलग टीमें रेड कर रही है।
सहायक आयुक्तों की लिस्ट बनाई, प्रदेश सरकार को भी लिख रहे पत्र-
एसपी ने बताया कि घोटाले की अवधि के बीच जो अफसर सहायक आयुक्त के पद पर पदस्थ रहे हैं उनसे पूछताछ की तैयारी की जा रही है। नोटिस जारी किए गए हैं। तत्कालीन सहायक आयुक्त और नेपानगर हाईस्कूल प्राचार्य अरुण महाजन को भी नोटिस जारी किया गया था, लेकिन वह फरार हो गए। सभी तत्कालीन सहायक आयुक्त से पूछताछ की जाएगी, लेकिन राजपत्रित अधिकारी से पूछताछ से पहले सरकार सरकार को सूचना जाती है। वह पत्र बना रहे हैं। सरकार को बताना होता है।
बैंक के अफसर, कर्मचारी भी शंका के दायरे में-
एसपी ने बताया कि कुछ ऐसे बिल हैं जो ट्रेजरी से पास हुए हैं वह बिल नहीं मिल रहे हैं। न तो ट्रेजरी में बिल मिल रहे हैं न ही जनजातीय विभाग में। राशि भी 60 से 70 लाख के आसपास निकाली गई है, इसलिए जिन लोगों को पैसा दिया गया था उनको नोटिस जारी कर बिल मांगे गए हैं। इन सबकी भी इन्वेस्टिगेशन चल रही है। बैंक अफसर, कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। बिना सेंक्शन खाता खुलने के बाद सालों तक करोड़ों का ट्रांजेक्शन हुआ, लेकिन इस पर किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं ली गई, इसलिए बैंक अफसरों से भी पूछताछ करने की तैयारी की जा रही है।