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उज्जैन

जब एक पल ऐसा आया जब साया भी छोड़ गया साथ

  • 23 Jun 2023

साल में दो दिन होती है खगोलीय घटना
उज्जैन। कहते है कि हमारी परछाई कभी भी हमारा साथ नहीं छोड़ती,मगर साल में दो दिन ऐसे आते हैं,जब दोपहर में कुछ समय के लिए हमारी परछाई हमारा साथ छोड़ देती है। यह नजारा उज्जैन में इसलिए दिखता हैं,क्योंकि उज्जैन के ऊपर से कर्क रेखा गुजरती है। पृथ्वी सूर्य के चारो और परिक्रमा करती है,सूर्य ने गुरूवार को उत्तराणायन से दक्षिणायन की ओर प्रवेश किया,जिसके चलते सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत की स्थिति में आ गया,जिससे दोपहर में कुछ क्षण के लिए परछाई गायब हो गई।
खगोलीय दृष्टि से शहर में गुरुवार का दिन बड़ा महत्वपूर्ण रहा। दरसअल प्रति वर्ष 21 या 22 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत की स्थिति में रहता है जिसके कारण परछाई गायब हो जाती है। इस बार 22 जून को उज्जैन के जीवाजी वेधशाला में खगोलीय घटना देखने को मिली। जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में खगोल प्रेमी वेधशाला पहुंचे थे। अधीक्षक राजेंद्र गुप्त ने बताया कि हम सभी जानते है कि पृथ्वी सूर्य के चारो और परिक्रमा करती है,22 जून को सूर्य उत्तरी गोलार्ध में अपने अधिकतम उत्तर स्थिति में कर्क रेखा पर लम्बवत होता है,आज सूर्य की स्थित 23 अंश 26 कला और 16.7 रहती है इस कारण उत्तरी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटी रात होगी। 13 घंटे 34 मिनिट की रात और 10 घंटे 26 मिनट की रात हैं। उज्जैन कर्क रेखा के नजदीक स्थित है। परछाई पहले पूर्व की और रहती है दोपहर 12.28 मिनट पर शून्य हो जाती है। इसके बाद शंकु यंत्र के माध्यम से देखा जा सकता है। आज के बाद सूर्य दक्षिण की और गति करना प्रारम्भ कर देगा जिससे उत्तरी गोलार्ध में दिन छोटे होने लगेंगे और राते बड़ी होने लगेगी।
लोगों ने देखा इस खगोलीय घटना का नजारा
देश में 4 वेधशाला हंै,जिसमें से एक उज्जैन में स्थित है जहाँ कालगणना के केंद्र होने के साथ ही उज्जैन से होकर गुजरी कर्क रेखा भी शामिल है। कर्क रेखा पर स्थित शंकु यंत्र पर पड़ती है तो सूर्य की किरण गायब ही जाती है। जब सूर्य भूमध्य रेखा पर आता है, तो पूरे विश्व में दिन और रात बराबर होते हैं। इस खगोलीय घटना के कारण भूमध्य रेखा और कर्क रेखा के बीच रहने वाले लोगों की दोपहर में सूर्य की रोशनी से परछाई नहीं बनती है। उज्जैन के जीवाजी वेधशाला पर कई लोगो ने इस खगोलीय घटना को देखा।