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उज्जैन

जमीन को गृह निर्माण संस्था ने खरीदा, प्लॉट के बदले में 55 सदस्यों से राशि भी जमा करवा ली

  • 16 Jul 2021

उज्जैन।  सिंहस्थ पड़ाव के तौर पर 1984 से आरक्षित जमीन को श्याम गृह निर्माण सहकारी संस्था ने 1994 में खरीद लिया और यहां संस्था के 55 सदस्यों को प्लॉट उपलब्ध करवाने के नाम पर सदस्यों से राशि भी जमा करवा ली। जमीन को लेकर विवाद सामने आने के बाद सदस्यों को पता चला कि जिस जमीन पर उन्हें प्लॉट आवंटित किए जाने की बात कही जा रही थी, वह तो पहले से सिंहस्थ के पड़ाव स्थल की है। नीलगंगा क्षेत्र में सर्वे नंबर 3720-1 व 3715 रकबा 0.031 व 1.098 हेक्टेयर जो प्राचीन सिंहस्थ पड़ाव स्थल के तौर पर आरक्षित है। इस जमीन पर किसी भी तरह के प्लॉट या भवन का निर्माण नहीं हो सकता है। यहां से हर सिंहस्थ में अखाड़ों की पेशवाई निकलती है। बावजूद श्याम गृह निर्माण सहकारी संस्था ने 16 नवंबर 1994 को जमीन कस्तूरी बाई माली से खरीद ली। संस्था अध्यक्ष, सचिव तथा पदाधिकारियों ने जमीन खरीद ली और सदस्यों से प्लॉट देने के नाम पर राशि जमा करवा ली। सिंहस्थ पड़ाव स्थल की जमीन होने की वजह से ही टीएंडसीपी और नगर निगम ने भी संस्था को उक्त जमीन पर कॉलोनी की अनुमति नहीं दी है। अब संस्था पदाधिकारी नगरीय क्षेत्र में शासन से कोई दूसरी जमीन दिए जाने की मांग कर रहे हैं ताकि सदस्यों को वहां पर प्लॉट आवंटित किए जा सके। गृह निर्माण सहकारी संस्था अध्यक्ष दिलीप खंडेलवाल व पदाधिकारियों का कहना है कि कोर्ट में प्रकरण विचाराधीन है। सप्तम अपर न्यायाधीश ने संस्था के पक्ष में स्टे भी दिया है। इसके बावजूद यहां पर किए गए निर्माण को लेकर कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट भी लगाई जा चुकी है।
प्लॉट के नाम पर राशि जमा कराई
पदाधिकारियों का तर्क है कि संस्था ने 55 सदस्यों को प्लॉट आवंटित करने के उद्देश्य से जमीन खरीदी थी, जिनकी राशि संस्था में जमा है। धार्मिक प्रयोजन के लिए जमीन लेना चाहते हैं तो संस्था को शहर में किसी अन्य स्थान पर इतनी ही जमीन आवंटित की जाए या खरीद कर दी जाए।
जमीन संस्था से खरीदी जा चुकी
राजस्व रिकॉर्ड के 1984-85 के खसरा पांच शाला में नीलगंगा हनुमान मंदिर के सामने स्थित उक्त सर्वे नंबर की जमीन सिंहस्थ मेला क्षेत्र के लिए आरक्षित व संरक्षित है। संस्था से 2000 में जमीन खरीदी जा चुकी है।
महंत रामेश्वर गिरी, व्यवस्थापक, अखाड़ा परिषद