नई दिल्ली। चीन और पाकिस्तान की नापाक हरकतों को नाकाम करने के लिए भारतीय सेना सीमा पर सदैव मुस्तैद रहती है। समय-समय पर अभ्यास भी करती रहती है। सेना ने दुनिया की सबसे ऊंची नदी घाटियों में से एक बड़ी संख्या में टैंक और बख्तरबंद वाहन तैनात कर सिंधु नदी को पार करने और दुश्मन के ठिकानों पर हमले करने के लिए पूर्वी लद्दाख में अभ्यास किया। टी-90 और टी-72 टैंकों और बीएमपी पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों सहित भारतीय सेना ने एक टैंक फॉर्मेशन बनाया। आपको बता दें कि पाकिस्तान में प्रवेश करने से पहले सिंधू नदी पूरे लद्दाख सेक्टर के माध्यम से चीनी सेना द्वारा नियंत्रित तिब्बती क्षेत्र से होकर बहती है।
सेना के अधिकारियों ने कहा कि इस तरह के अभ्यास आकस्मिक परिस्थितियों की तैयारी के लिए किए जाते हैं। साथ ही घाटियों के रास्तों से होते हुए भारतीय इलाकों में कब्जा करने की दुश्मनों की कोशिश को नाकाम करने के लिए सेना को तैयार किया जाता है।
भारतीय सेना दुनिया की उन चुनिंदा सेनाओं में से एक है जो 16,000 फीट तक की ऊंचाई पर बड़ी संख्या में टैंकों का संचालन करती है।
चीनी सैनिकों ने सैनिकों को हटाकर पूर्वी लद्दाख सेक्टर में टैंकों के साथ आक्रामकता दिखाना शुरू कर दिया, तो भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख सेक्टर में बड़ी संख्या में टैंक और बख्तरबंद लड़ाकू वाहन तैनात कर दिया। इस इलाके में खुली घाटियां हैं जो टैंक से युद्ध के लिए बहुत अनुकूल हैं।
भारतीय सेना पाकिस्तान से सटी सीमा यानी कि पंजाब सेक्टर में बड़े पैमाने पर इस तरह के अभ्यास करती है। पहले ऐसा माना जाता था केवल मैदानी और रेगिस्तानी इलाकों में ही टैंक युद्ध होंगे, लेकिन हाल के दिनों में यह मानसिकता बदल गई।
2013-14 में पूर्वी लद्दाख में पहली बार टैंकों को भी शामिल किया गया। 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद टैंकों की संख्या कई गुना बढ़ गई। उस घटना के बाद भारतीय वायुसेना के सी-17 और इल्युशिन-76 परिवहन विमान बड़ी संख्या में रेगिस्तानों और मैदानों से टैंक और बीएमपी लाए थे।
साभार लाइव हिन्दुस्तान
दिल्ली
टैंकों की दहाड़ से गूंज उठी पूर्वी लद्दाख की घाटी
- 08 Jul 2023