इंदौर। केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) ने कर चोरी की आशंका में शहर के कनफेक्शनरी उद्योग समूह पर सोमवार से कार्रवाई शुरू की थी। छापे की कार्रवाई बुधवार को खत्म होने के बाद फैक्ट्रियों के संचालक ने 20 लाख से ज्यादा का टैक्स विभाग के खाते में जमा कर दिया है। हालांकि जांच और प्रकरण खत्म नहीं हुआ। विभाग को अब भी बढ़ी टैक्स चोरी पकड़ में आने की उम्मीद है। लिहाजा रिकार्ड और दस्तावेजों की जांच के साथ लेबोरेटरी की जांच में मदद भी ली जा रही है।
सीजीएसटी विभाग की टीमों ने पोलोग्राउंड स्थित वरुण फूड्स, सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र स्थित श्रीफल कन्फेक्शनरी फैक्ट्री पर छापा मारा था। दोनों फैक्ट्रियां एक ही समूह की है। नंदलाल वाधवानी फैक्ट्रियों के संंचालक बताए जा रहे हैं। प्रारंभिक जांच में विभाग के हाथ बिना बिल के कच्ची पर्चियों पर कनफेक्शनरी निर्माण का कच्चा माल खरीदने और फिर अंडर बिलिंग कर निर्मित सामग्री बेचने के सबूत मिले थे। इसके बाद प्रारंभिक रूप से 20 लाख रुपये से ज्यादा समूह की ओर से विभाग के खाते में जमा करवा दिए गए हैं। इधर सूत्रों के मुताबिक विभाग ने बही खातों और पुराने रिकार्ड की जांच शुरू की है। इस बीच फैक्ट्री से निर्मित और निर्माण सामग्री के सैंपल लेबोरेटरी में टेस्ट के लिए भेजे गए हैं। दरअसल कनफेक्शनरी यानी चाकलेट, टाफी के निर्माण के लिए कोको पावडर, मिल्क और आइल फेट्स के साथ ग्लूकोज व फ्लेवरिंग एजेंट जैसी तमाम सामग्रियों का उपयोग होता है। इनमें से कोको पावडर पर सबसे ज्यादा 18 प्रतिशत की दर से टैक्स लगता है।
ऐसे में टैक्स चोरी करने के लिए फैक्ट्रियां कोको पावडर की खरीदी नहीं दिखाती। इसके लिए निर्मित सामग्री में भी कोको पावडर का उल्लेख नहीं किया जाता। जीएसटी विभाग ने कोको पावडर का पता लगाने के लिए फैक्ट्री से जब्त सैंपलों को लेब में जांंच के लिए भेज दिया है। इसके साथ कुछ और आयातित सामग्रियों के भी उपयोग की शंका है। ऐसेे उच्च टैक्स दर वाली सामग्रियों के उपयोग और अनुपात का लेब टेस्ट से खुलासा होगा। सामग्रियों के उपयोग और निर्मित सामग्री में अनुपात के आधार पर विभाग फैक्ट्री पर आगे बकाया टैक्स का हिसाब निकालेगा और लेब टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर आगे वसूली की कार्रवाई की जाएगी।
इंदौर
टैक्स चोरी का पता लगाने के लिए लैब टेस्ट का सहारा ले रहा विभाग
- 11 Sep 2021