भोपाल। शहर में 405 ऐसे मरीजों की पहचान की गई है, जिनको भविष्य में टीबी होने की आशंका थी। अब इन सभी को आगामी 6 महीने तक लगातार आइसोनियाजिड (आईएनएच) की एक गोली खिलाई जाएगी, ताकि संक्रमण को जड़ से खत्म किया जा सके। दरअसल, टीबी प्रिवेंटिव प्रोग्राम के तहत सेंट्रल लाइब्रेरी स्थित जिला टीबी सेंटर पर इंटरफेरॉन गामा रिलीज ऐसे (इग्रा टेस्ट) शुरू किया गया है।
यहां हर रोज औसतन 20 से ज्यादा टेस्ट किए जा रहे हैं। टेस्ट उन लोगों के किए जा रहे हैं, जो टीबी मरीजों के संपर्क में हैं, ऐसे में उनके संक्रमित होने की आशंका है। 15 मार्च को शुरू हुई इस सुविधा के तहत अब तक 917 सैंपलों की जांच की गई। इनमें से 44 प्रतिशत से ज्यादा लोगों के अंदर गुप्त टीबी पाई गई है।
भोपाल में 11 हजार टीबी मरीज हैं, इनमें 6 हजार को फेफड़ों की टीबी
बताया गया है कि भोपाल में टीबी के करीब 11 हजार मरीज हैं। इनमें से छह हजार मरीज ऐसे हैं, जिनको फेंफड़ों की टीबी है। इन मरीजों के संपर्क में आए परिजन और टीबी मरीजों की देखरेख करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ लगभग छह हजार लोग ऐसे हैं, जिनका इग्रा टेस्ट किया जाना है। इसको ध्यान में रखते हुए जिला टीबी सेंटर में 15 मार्च से इग्रा टेस्ट की शुरुआत की गई है।
2025 तक टीबी को जड़ से खत्म करने का चल रहा प्रोग्राम
सरकार द्वारा 2025 तक टीबी को पूरी तरह से खत्म करने का प्रोग्राम चलाया जा रहा है। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति के अंदर यह वायरस निष्क्रिय बचा रहा और कुछ सालों बाद प्रभावित किया तो टीबी का संक्रमण फिर फैलना शुरू हो जाएगा। ऐसे हालात नहीं बनें, इसी को ध्यान में रखकर बड़े स्तर पर इग्रा टेस्ट की शुरुआत की गई है। एक बार वायरस पूरी तरह से खत्म हो गया तो टीबी पूरी तरह से खत्म हो सकती है।
निजी सेंटर पर 5000 फीस
टीबी मरीज के परिजनों को संक्रमित होने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। इग्रा टेस्ट निजी सेंटर पर करीब 5000 हजार रुपए में होता है। जिला टीबी सेंटर पर यह मुफ्त में किया जा रहा है। यहां का अमला मरीजों के घर जाकर उन्हें यह जांच कराने के लिए काउंसलिंग कर रहा है।
कई बार यह संक्रमण तुरंत इफेक्ट नहीं करता
कई बार यह संक्रमण तुरंत इफेक्ट नहीं करता है। ऐसे में भविष्य में व्यक्ति में टीबी के लक्षण उभरने की आशंका रहती है। इग्रा टेस्ट उस छिपे वायरस की पहचान कर लेता है। आईएनएच की एक गोली छह महीने तक खाकर संक्रमण का खतरा समाप्त हो सकता है।
डॉ. मनोज वर्मा, जिला टीबी अधिकारी
भोपाल
टीबी होने से पहले ही 405 मरीजों की पहचान, अब इन्हें 6 महीने तक रोज खिलाई जाएगी एक गोली
- 30 May 2022