वाशिंगटन। वैज्ञानिकों का कहना है कि डेल्टा वैरिएंट एंटीबॉडीज को चकमा दे रहा है। फ्रांस के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि प्राकृतिक संक्रमण और वैक्सीन से किस तरह एंटीबॉडीज बनती हैं जो अल्फा, बीटा और डेल्टा के साथ वायरस के सबसे पहले रूप से भी बचाने में कारगर है। यह टीका लगवा चुके लोगों के लिए भी खतरा हो सकता है।
वैज्ञानिकों ने संक्रमण की चपेट में आ चुके 103 लोगों की जांच की तो पता चला कि डेल्टा बिना वैक्सीन वाले लोग जो अल्फा की चपेट में आए उनकी तुलना में कम संवेदनशील है। वैज्ञानिकों ने 59 लोगों के सैंपल की जांच की जिन्हें एस्ट्राजेनेका या फाइजर टीके की एक या दो डोज लग चुकी थी।
टीम ने पाया कि एक डोज लेने वाले केवल दस फीसदी में इम्युनिटी देखी गई जो डेल्टा व बीटा वैरिएंट को न्यूट्रलाइज करने में सक्षम था। टीके की दूसरी डोज 95 फीसदी असरदार दिखी, लेकिन दोनों वैक्सीन लगने के बाद एंटीबॉडीज में कोई बहुत बड़ा अंतर या बदलाव नहीं दिखा। यही कारण हो सकता है कि डेल्टा वैरिएंट टीका लगवा चुके लोगों के लिए भी खतरे की घंटी है।
टीकाकरण को तेजी से अंजाम देने की जरूरत
बता दें कि दुनिया में कोविड-19 से होने वाली मौतों का आंकड़ा बुधवार को 40 लाख का आंकड़ा पार कर गया। वहीं, वायरस के डेल्टा स्वरूप के सामने आने के बाद टीकाकरण को तेजी से अंजाम देने की जरूरत भी बढ़ गई है।
डेढ़ वर्ष में हुई मौतों का यह आंकड़ा पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ओसलो के अनुमान के मुताबिक, 1982 के बाद दुनिया में होने वाले सभी तरह के युद्धों में मारे गए लोगों के लगभग बराबर है।
Credit- अमर उजाला
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डेल्टा वैरिएंट : टीका लगवा चुके लोगों के लिए भी खतरा
- 10 Jul 2021