भोपाल । पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने भोपाल में ईवीएम को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा, ईवीएम का सारा काम प्राइवे्ट लोगों के हाथ मे हैं। जब सॉफ्टवेयर ही सब करता है तो वही सॉफ्टवेयर तय करेगा सरकार किसकी बनेगी। 140 करोड़ के देश मे जहां 90 करोड़ मतदाता हैं तो क्या हम ऐसे लोगों के हाथ मे ये सब तय करने का अधिकार दे दें। पूरे इलेक्शन प्रोसेस का मालिक ना मतदाता है, ना अधिकारी कर्मचारी हैं। इसका मालिक सॉफ्टवेयर बनाने और डालने वाला है।
उन्होंने कहा, सॉफ्टवेयर कौन डाल रहा है इसकी कोई जानकारी नहीं है। सॉफ्टवेयर बनाने वाला डालने वाला और सॉफ्टवेयर ही तय करेगा की सरकार किसकी बनेगी। 140 करोड़ की जनता का मालिक न मतदाता है न इलेक्शन कमीशन और न ही सरकारी कर्मचारी है न रिटनिंग अधिकारी है। इन सबका मालिक अब सॉफ्टवेयर निर्माता है।
लालकृष्ण आडवाणी भी संदेह जता चुके हैं।
उन्होंने कहा, 2003 से लेकर 2012 तक ईवीएम चलती रही। इस दौरान लालकृष्ण आडवाणी से लेकर कई नेताओं ने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाया। मूल रूप है विश्वास जनता को विश्वास होना चाहिए। इसके बाद वीवीपैट मशीन आई। उसमे दिखाने की प्रक्रिया थी कि वोट कहाँ डाल रहा है। मतदाता वीवीपैट में डाला जाने वाला सॉफ्टवेयर का सर्वर सेंट्रल इलेक्शन के सर्वर से जुड़ी होती है। इसका कंट्रोल यूनिट प्री-प्रोग्राम होती है। ईवीएम मशीन में जहाँ चिप डला हो वहाँ पर डला होने वाला सॉफ्टवेयर ही सर्वेसर्वा होता है।
चुनाव आयोग ने माना खतरनाक
दिग्विजय ने कहा कि हमारे यहां आस्ट्रेलिया की तर्ज़ में वीवीपैड पब्लिक डोमेन में क्यों नहीं डाले जाते। इसी तरह यह वन टाइम प्रोग्रामेबल चिप है या मल्टीलेवल प्रोग्रामेबल चिप इसकी भी जानकारी नहीं है। आज विश्व में 5 देश ऐसे है जहां EVM से वोट डाला जाता है। विदेशों में सॉफ्टवेयर पब्लिक डोमेन में है। हमारे यहाँ 2003 से ही ऐसा नहीं है । जब बोला गया तो चुनाव आयोग ने कहा इसे पब्लिक डोमेन में नहीं रख सकते। ये तो और भी ख़तरनाक है की चुनाव आयोग मानता है की इसका दुरुपयोग हो सकता है ।
भोपाल
दिग्विजय ने चुनाव आयोग पर उठाए सवाल, कहा- EVM का सॉफ्टवेयर तय करता है सरकार किसकी बनेगी
- 24 Jan 2024