जब भी राजनीति में... मध्यप्रदेश और उसमें भी कांग्रेस की चर्चा होगी... तब तब यह चर्चा अधूरी होगी... जब जब चर्चा में... दिग्विजय सिंहजी नहीं होंगे... अर्थात मध्य प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में... दिग्विजय सिंह जी के बिना...चर्चा अधूरी ही रहेगी... क्योंकि दिग्गी राजा... आबोहवा को प्रभावित करने वाले... मध्यप्रदेश में कांग्रेस के अकेले... नेता नजर आते हैं... कांग्रेस में दूर तक... किसी भी हलचल में राजा का...प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से होना... स्वाभाविक सी प्रक्रिया है... वह जहां होते हैं... चर्चा में होते हैं... अखबारों के लिए वह... बहुत महत्वपूर्ण होते हैं... चर्चा में होना ही राजा का शगल... शौक भी है...या कहें हॉबी है...। जिस शहर में भी जाते हैं...वहां की राजनीति को चर्चित होना ही होता है... यही खासियत है जो उन्हें... अन्य नेताओं से अलग खड़ा करती है...कार्यकर्ताओं की भी एक लंबी टीम उनके साथ है... और राजनीति के चतुर चालाक खिलाड़ी भी हैं... कब कौन सी गोटी कहां बिठानी है...कब किस तरह की चाल चलना है...वह बेहतर समझते हैं... प्रदेश की कांग्रेस पर... वर्तमान दौर में यही प्रतीत हो रहा है...पूरी पकड़ उनकी ही है... वह भले ही कहें कहें...कि वह कुछ नहीं... पर हैं वे सब कुछ...भले ही वे सर्व स्वीकार ना हो... लेकिन सर्व चर्चा में अवश्य ही रहते थे... और रहते हैं... हां भविष्य के बारे में कहना ठीक नहीं है...?
हालांकि हाल ही में इसलिए चर्चा में आए कि... उन्होंने "मोदी शाह" की प्रशंसा की है... हालांकि वे अटल जी के भी प्रशंसक रहे हैं...मुख्यमंत्री रहते वह अटल जी की सभा में... मंच पर बिना किसी कार्यक्रम के भी पहुंचकर...लीक से हटकर कर चुके हैं...? हालांकि राजा को "मोदी शाह "का धुर विरोधी माना जाता है.. परंतु राजनीति में जब... संवेदना का भाव...मतभेद से ऊपर होकर प्रकट हो... तो वह व्यक्ति के व्यक्तित्व को...दोहरा करता है... राजनीति में " दुकड़ी "... यानी कि "मोदी शाह" की प्रशंसा करना... दिग्विजय सिंह के व्यक्तित्व... का ही एक हिस्सा है... इसलिए वे विरोधियों में भी चर्चा में रहते हैं... भले आलोचना ही होती हो... और आलोचना उसी की होती है... जिसकी समालोचना पर लोग चिंतित होते हैं...उनसे राजनीतिक खतरा भी महसूस होता हो...तभी चर्चा होती है... क्योंकि "चर्चा में नहीं है कोई खर्चा"... राजा ने कहा है कि वह "मोदी शाह" के इसलिए प्रशंसक हैं...क्योंकि वह विचारधारा से... समझौता नहीं करते हैं...यह कहना, साथ ही यह स्पष्ट कर देना कि, वह (मोदी शाह के) आलोचक हैं... और रहेंगे...? क्योंकि वह विचारधारा से समझौता नहीं करते हैं... साथ ही यह भी कहना कि... आप "सत्ता लोलुप गद्दारों की जमात इकट्ठा कर रहे हो"..." यह वही लोग हैं जो आपको पानी पी पीकर गाली देते हैं"..." बुरे समय में जिन्होंने आप का साथ दिया वह सब घर बैठे हैं"... "खुद्दारो को छोड़कर गद्दारों की फौज से लड़ेंगे"... " यह आप गलती कर रहे हो"...।
कोई शुभचिंतक ही यह कह सकता है...मेरा ऐसा मानना है... राजा ने विचारधारा के आधार पर "मोदी शाह"की प्रशंसा की है... और सचेत भी किया है... यह उल्लेखनीय है...?
शेष फिर...
एल.एन.उग्र
विविध क्षेत्र
दिग्विजय सिंह द्वारा... शाह मोदी की प्रशंसा...?
- 22 Jul 2023