मां अहिल्या की नगरी पर हमेशा रहती है धन की देवी की विशेष कृपा
इंदौर। आज पूरा देश सबसे बड़े त्योहार दीपावली का पर्व धूमधाम और उत्साह से मना रहा है। शहर में इस पर्व का उत्साह कई दिनों से देखा जा रहा है। यदि इंदौर को प्रदेश की औद्योगिक राजधानी के साथ-साथ धार्मिक नगरी भी कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। ऐसा इसलिए भी कह सकत ेहैं, क्योंकि इस शहर में रहने वाले अधिकांश लोग धार्मिक प्रवृत्ति के हैं और पूरे वर्षभर कहीं न कहीं धार्मिक आयोजन होते हैं। इसके अलावा मां अहिल्या की इस नगरी में देवी-देवताओं के मंदिरों के साथ ही अन्य धर्मस्थल भी बड़ी संख्या में है। दीपावली के शुभ अवसर पर शहर के महालक्ष्मी मंदिरों से पाठकों को अवगत कराया जा रहा है।
इसलिए कहा है मां की विशेष कृपा
प्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर पर देवी महालक्ष्मी की विशेष कृपा है। उनका ही प्रताप है कि यहां कभी किसी चीज की कोई कमी नही ंरही। प्रदेश में इंदौर सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला जिला है तो ये भी देवी महालक्ष्मी की ही कृपा है। इंदौर पर अपनी महारानी प्रात:स्मरणीया अहिल्याबाई होल्कर की जितनी कृपा है, उतनी ही देवी महालक्ष्मी की भी है। शहर में देवी महालक्ष्मी की ही कृपा है कि नित नए उद्योग धंधे शुरू होते हैं और रोजाना सैकड़ों लोग अपने शहर से पलायन कर इंदौर पहुंचते हैं और देवी की कृपा से यहीं रहकर अर्थोपाजन में जुट जाते हैं। शहर में उद्योग व्यापार के सफल होने का एक कारण माता महालक्ष्मी की विशेष कृपा होना भी माना जाता है। शहर के इन माता मंदिरों की पूरे देश में ख्याति है।
राजवाड़ा स्थित महालक्ष्मी मंदिर
शहर के हृदय स्थल राजवाड़ा की शान कहे जाने वाले श्री महालक्ष्मी मंदिर की स्थापना 1832 में मल्हारराव होल्कर (द्वितीय) ने की थी। 1933 में यह तीन तल वाला मंदिर था जो आग के कारण तहस-नहस हो गया था। 1942 में मंदिर का पुन: जीर्णोद्धार कराया गया था। मल्हारी मार्तंड मंदिर के साथ राजवाड़ा स्थित इस प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर में सुश्रृंगारित प्रतिमा का बहुत अधिक महत्व है। ये मंदिर होलकर रियासत की श्रद्धा का प्रतीक होने के साथ-साथ समूचे इंदौरवासियों के लिए भी बहुत महत्व रखता है।
पूर्वी क्षेत्र के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र खजराना और महालक्ष्मी नगर के मंदिर
शहर की महालक्ष्मी नगर कालोनी में बना माता महालक्ष्मी का मंदिर और राजवाड़ा स्थित लक्ष्मी मंदिर पूर्वी क्षेत्र के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। जून 1990 में बसी महालक्ष्मी नगर कालोनी में भव्य महालक्ष्मी का मंदिर स्थापित हुआ था। इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां स्थापना के वक्त देवी महालक्ष्मी की सवारी वाहन उल्लू का एक जोड़ा लाया गया था, इसके लिए मंदिर के उपर ही उल्लू घर भी बनाया गया है। वहीं खजराना गणेश मंदिर में प्रवेश द्वार के समीप ही माता महालक्ष्मी विराजित हैं। इस मंदिर की विशेषता है कि यहां पर दर्शन से पहले ही कलश के दर्शन हो जाते हैं, क्योंकि जिस मंदिर में माता महालक्ष्मी विराजित हैं वह कलश के आकार का ही है। मंदिर के पुजारी गोकुल महाराज ने बताया कि यहां जयपुर से प्रतिमा लाकर स्थापित की गई है।
श्रीयंत्र के साथ महालक्ष्मी का मंदिर
हरसिद्धी मंदिर के परिसर में ही एक और मंदिर बना है, जहां तीन देवियों मां महाकाली, मां महासरस्वती और मां महालक्ष्मी की प्रतिमा श्रीयंत्र के साथ विराजित हैं। ऐसी प्रतिमा पूरे प्रदेश में और कहीं नहीं है। पुजारी पं. मदनलाल त्रिवेदी बताते हैं कि 30 जून 1990 को शहर होटल संचालक प्रदीप शर्मा ने ये प्रतिमा स्थापित करवाई थी। मंदिर की विशेषता ये है कि देवी महालक्ष्मी की प्रतिमा के पीछे श्रीयंत्र लगा है जो सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
सरस्वती-गणेश के साथ विराजित मां
अक्सर देखा गया है कि महालक्ष्मी मंदिरों में केवल माता की प्रतिमा ही विराजित रहती है। शहर के मल्हारगंज इलाके में लाल अस्पताल के समीप महालक्ष्मी मंदिर में भगवान गणेश और देवी सरस्वती की प्रतिमा भी विराजित हैं। यह एकमात्र मंदिर है, जहां तीनों प्रतिमाएं एक साथ है।
उषा नगर महालक्ष्मी मंदिर
उषा नगर कॉलोनी के बगीचे में करीब 2.5 एकड़ पर निर्मित ये मंदिर इस मायने में ऐतिहासिक है क्योंकि इसका निर्माण रहवासियों ने बगीचे में छोड़ी गई जमीन पर किया है। जब कॉलोनी की बसाहट शुरू हुई तो रहवासियों ने निवेदन किया कि कॉलोनी में उद्यान व मंदिर के लिये छोड़ी गई भूमि पर मंदिर का निर्माण करवाएं । तब कॉलोनाइजर ने कहा कि उनका बजट नहीं है। फिर रहवासियों ने मिलकर संगठन बनाया और मंदिर व बगीचे का निर्माण कर लिया।
स्वर्ण मंदिर में मां महालक्ष्मी भी विराजित
सेंट्रल कोतवाली थाने के सामने यातायात पुलिस थाने के समीप स्थित दुर्गा माता मंदिर में मां महालक्ष्मी की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। यह शहर का एकमात्र मंदिर है जहां लगभग 20 क्विंटल नक्काशी वाला पीतल लगाया है, जिसके चलते इसे सोने का यानि स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है। लगभग 35 वर्ष पूर्व यहां देवी दुर्गा का मंदिर स्थापित किया गया था और देवी महालक्ष्मी की प्रतिमा भी स्थापित की गई थी। शहर के साहू परिवार ने पुत्र होने पर संतानलक्ष्मी की ्प्रतिमा स्थापित करने का संकल्प लिया था, जो अब पूरा होने जा रहा है। इस परिवार द्वारा यहां पर यह प्रतिमा विराजित कराई जाएगी, जिसका काम भी चल रहा है। ये इंदौर का एकमात्र संतानलक्ष्मी मंदिर होगा।
DGR विशेष
दीपावली के शुभ अवसर पर विशेष ... पूरे देश में है इंदौर के महालक्ष्मी मंदिरों की ख्याति
- 04 Nov 2021