Highlights

दतिया

दतिया में शव की बेकद्री, मॉच्र्युरी में 6 घंटे तक डूबा रहा शव, खींचकर बाहर लाए

  • 11 Sep 2021

दतिया। तेज बारिश के बाद दतिया में शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। जिले के इंदरगढ़ अस्पताल के पोस्टमॉर्टम हाउस में युवक का शव 6 घंटे तक पानी में डूबा रहा। सुबह परिजन यहां पहुंचे, तो शव की बेकद्री देख आक्रोशित हो गए। उन्होंने अस्पताल स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाया। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन हरकत में आया। शव को बाहर निकलवाकर दूसरे कमरे में रखवाया गया। इसके बाद डॉक्टरों ने भी पानी में खड़े-खड़े ही पोस्टमॉर्टम किया। गुरुवार रात करीब साढ़े 9 बजे इंदरगढ़ स्वास्थ्य केंद्र पर पोस्टमॉर्टम के लिए दो शव लाए गए थे। इनमें एक शव खड़ौआ के रहने वाले नरेंद्र (20) पुत्र राजाराम प्रजापति का था। नरेंद्र की मौत करंट लगने से हुई थी। वहीं, दूसरा शव थैली गांव के अमजद का था। वह मूलत: शिवपुरी के चितारी गांव का रहने वाला था। बाढ़ में सब कुछ तबाह हो जाने के बाद वह यहां ससुराल में रह रहा था। उसने रात में पेड़ से लटकर फांसी लगा ली थी। रात होने के कारण दोनों शव पोस्टमार्टम रूम में रख दिए गए। पोस्टमार्टम रूम में पत्थर की एक ही टेबल है। इस कारण नरेंद्र का शव टेबल पर, जबकि अमजद का शव नीचे फर्श पर रख दिया गया। देर रात अचानक हुई तेज बारिश के कारण पोस्टमार्टम हाउस में लबालब पानी भर गया। यहां करीब एक से डेढ़ फीट तक पानी भर गया था। इससे फर्श पर रखा अमजद का शव पानी में डूब गया। करीब 6 घंटे तक शव इसी हालत में पड़ा रहा। सुबह जब मृतक के परिजन पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे, तो शव की स्थिति देख भड़क उठे।
डॉक्टरों ने पानी में खड़े होकर किया पोस्टमार्टम
परिजन का आरोप था कि अस्पताल स्टाफ पोस्टमार्टम समय पर करने की जिम्मेदारी निभाने में लापरवाही बरतता रहा है। शिकायत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने शव को खींचकर बाहर लाए और दूसरे कमरे में रखवाया। इसके बाद डॉ. अवनीश त्रिपाठी और डॉ. सुनील वर्मा ने पानी में खड़े रह कर पहले नरेंद्र के शव का पोस्टमॉर्टम किया। इसके बाद उसी टेबल पर अमजद का भी पोस्टमार्टम किया गया। मामले में बीएमओ का कहना है कि पुलिस की ओर से पोस्टमार्टम फॉर्म समय पर नहीं भेजे जाने के कारण देरी हुई।
शव उठाने के लिए नहीं मिला स्ट्रेचर
अस्पताल में अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि वहां शव उठाने के लिए स्ट्रेचर तक नहीं मिल सका। इस कारण पोस्टमार्टम रूम से शव को बाहर खींचकर निकालना पड़ा। किसी तरह परिजन और स्टाफ ने मिलकर उसे दूसरे कमरे में रखा।