ऋषि का ऋषित्व देखो.., मैं जो कहता हूं, उसे भी परखों, जानो और फिर मानों। “क्योंकि सांच को आंच नहीं”। अद्भुत ????
आँखे मत मूंदो:-
मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं यह नहीं चाहता हूँ कि जो कुछ मैं कहूँ आप उस पर आँखे मीचकर चलने लगें।
आप उस पर विचार करें, उसे जाँचे और परखें, यदि वह आपको सत्य जान पड़े तो उस पर चलें और यदि वह असत्य जान पड़े तो उस पर कोई ध्यान न दें।
अन्धविश्वास ही हमारे नाश का मूल है। और संस्कृत पुस्तकों में ज्ञान का बृहत् कोष भरा हुआ है।
उन्हें पढ़ो और देखो कि उनमें क्या है।
ऐसा मत कहो कि कोई बात केवल इसलिए माननीय वा त्याज्य है क्योंकि दयानन्द सरस्वती ऐसा कहते हैं।
( स्वामी दयानन्द चरित्. बाबू. देवेंद्र. मुख्योपाध्याय.प्र.२००६ गोविंदराम...पृ. ४०१)
चिंतन और संवाद
दयानंद सरस्वती कहते है...!
- 27 May 2023