आजकल स्टाइल, फैशन और दिखावे के चक्कर में हम होटल और रेस्टोरेंट में जाकर अपनी ओपेनिंग या भोजन की शुरुआत लिम्का से करते हैं फिर क्लोजिंग नींबू से कटोरी में हाथ धोते हैं, क्यों है न..??
जब की निंबू का प्रयोग सभी खाने के खाद्य पदार्थों में करना चाहिए, और हम सिर्फ हाथ धोने में करते हैं और लिम्का में हानिकारक केमिकल और HIGH शुगर होते हैं, जो की शरीर में जाकर नुकसान करता है
चलिये अब मैं कहता हूं ऐसे फैशन की ऐसी की तैसी..
तो मेरे प्यारे प्रकृति प्रेमियों, अब आते है, दही को किस प्रकार से सेवन करना चाहिए, तो दही में नमक डाल कर कतई ना खाये...
क्यों...????
कभी भी आप दही को नमक के साथ मत खायें।
दही को अगर खाना ही है, तो हमेंशा दही को मीठी चीज़ों के साथ खायें, जैसे कि, चीनी के साथ, गुड़ के साथ, शक्कर, बूरे के साथ वगैरह।
इस क्रिया को और बेहतर से समझनें के लिए आपको बाज़ार जाकर किसी भी साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट की दूकान पर जाना होगा, और वहां से आपको एक थोड़ा पॉवरफुल लेंस को खरीदना होगा,
अब अगर आप दही को इस लेंस से देखेंगे तो आपको बहुत छोटे छोटे हज़ारों की संख्या में बैक्टीरिया नज़र आयेंगे।
ये बैक्टीरिया जीवित अवस्था में आपको इधर उधर चलते फिरते नजर आयेंगे।
इन्हीं बैक्टीरिया को जीवित अवस्था में ही हमारे शरीर में जानें चाहिए, क्योंकि, जब हम दही खाते हैं तो हमारे अंदर एंजाइम प्रोसेसिंग होती है।
हम दही केवल बैक्टीरिया के लिए खाते हैं।
दही को आयुर्वेद की भाषा में फ्रेंडली जीवाणुओं का घर माना जाता है।
अगर एक कप दही में आप जीवाणुओं की गिनती करेंगे तो करोड़ों जीवाणु नजर आयेंगे।
अगर आप मीठा दही खायेंगे तो ये बैक्टीरिया आपके लिए काफ़ी फायदेमंद साबित होंगे।
वहीं अगर आप दही में एक छोटी चुटकी नमक भी मिला लें तो सेकण्डों में सारे के सारे बैक्टीरिया मर जायेंगे
और उनकी लाश ही हमारे अंदर जाएगी जो कि, किसी काम नहीं आयेगी।
अगर आप 100 किलो दही में एक चुटकी नामक डाल देते हैं तो दही के सारे बैक्टीरियल गुण खत्म हो जायेंगे क्योंकि, नमक में जो केमिकल्स है वह जीवाणुओं के दुश्मन हैं।
आयुर्वेद में कहा गया है कि, दही में ऐसी चीज़ मिलाएं, जो कि, जीवाणुओं को बढ़ाये ना कि, उन्हें मारे या खत्म करे।
दही को गुड़ के साथ खाईये, गुड़ डालते ही जीवाणुओं की संख्या मल्टीप्लाई हो जाती है और वह एक करोड़ से दो करोड़ हो जाते है थोड़ी देर गुड़ मिला कर रख दीजिए।
बूरा डालकर भी दही में जीवाणुओं की ग्रोथ कई गुना ज्यादा हो जाती है।
मिश्री को अगर दही में डाला जाये तो ये सोने पर सुहागे का काम करेगी।
भगवान श्री कृष्ण भी दही को मिश्री के साथ ही खाते थे।
पुराने समय के लोग अक्सर दही में गुड़ डाल कर दिया करते थे।
अभी भी समय है अपनी गलतियों को सुधारने का और सेहत को बनाने का।