इंदौर। महू की पहचान धोकपड़़वा जो अब अपनी पहचान खोती जा रही है उसे पुराने वैभव में लाने के लिए अब शहरवासी एकजुट होकर अपील करने लगे हैं। संस्कार व सम्मान के लिए दुनिया भर में पहचान बनाने वाले इस पर्व के लिए अपील के साथ साथ अब रंगोली, फोटोग्राफी व प्रिंस तथा प्रिंसेस प्रतियोगिता के साथ निश्शुल्क पानी पतासे व शीतल जल का वितरण करने की घोषणा की गई, ताकि आम नागरिक एक बार फिर इस पर्व को घरों से बाहर आकर उत्साह के साथ मनाएं।
नगर की धोकपड़वा देश भर में प्रसिद्घ है। इस पर्व को मनाने के लिए देश के कोने कोने व अन्य देश में रहने वाले महूवासी इस दिन विशेष रूप से महू आते हैं। इस पर्व को संस्कार व सम्मान का पर्व भी माना जाता है जिसमें बड़़ों के प्रति सम्मान व छोटों के प्रति प्यार दिन भर सड़़कों पर उमड़़ते हुए देखा जाता था। लेकिन विगत कुछ वर्षो से राजनीति के कारण इस पर्व का उत्साह समाप्त हो गया और पर्व अपनी पहचान खोता गया। दिन भर मनाए जाने वाला यह पर्व इसी राजनीति के कारण मात्र कुछ घंटों में सिमट कर रह गया।
जिस सड़क पर निकलने के लिए रास्ता खोजना पड़़ता था वहां अब सन्नााटा पसरने लगा। लेकिन इस पर्व को एक बार फिर पुराने उत्साह से मनाने तथा वैभव मे लौटाने के लिए शहरवासियों द्वारा अपील की जाने लगी है ताकि नई पीढी संस्कार व सम्मान के इस पर्व को समझ सकें। इसके लिए नगर के युवाओं के एसडीपी ग्रुप ने रंगोली प्रतियोगिता आयोजित की। इसमें प्रथम तीन विजेताओं को 51,21 तथा 11 हजार रुपये का नकद पुरस्कार देने के साथ हर प्रतियोगिता को
निश्चित उपहार देने की घोषणा की। इस प्रतियोगिता में विशेष बात यह है कि इसमें ग्रुप के सदस्य या उनके स्वजन भाग नहीं लेंगे। इसके अलावा इस दिन कोतवाली चौक पर निश्शुल्क पानी पतासे तथा गोपाल मंदिर पर निश्शुल्क शीतल जल की व्यवस्था की जाएगीं साथ ही प्रिंस व प्रिंसेस तथा मोबाईल से फोटोग्राफी प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी। शहर की हर संस्था के साथ व्यवसायी समाजसेवी भी इसे उत्साह के साथ मनाने की अपील करने लगे है। इनमें कपिल शर्मा, नवीन सैनी, जितेंद्र शर्मा, डॉ. विवेक दुबे, महेश टोनी शर्मा, लोकेश शर्मा, रामदास चौहान, विनोद जायसवाल,पायल परदेशी, सजनी कलोसिया, राजकुमार सैनी, दिनेश सोलंकी, सुचित बंसल आदि प्रमुख हैं।
नेताओं के इंतजार के बजाए बड़ों का सम्मान करें
शहवासियों ने कहा कि विगत कुछ वर्षो से हमारी युवा इस पर्व के दिन पीढ़़ी बड़़ों का सम्मान करने के बजाए नेताओं का घंटों इंतजार करने लगी है। जिस कारण ना सिर्फ पर्व का महत्व समाप्त हो गया बल्कि संस्कृति व सम्मान भी विलुप्त होता गया। इसलिए जरूरी है कि अब घंटों देरी से आकर अपनी राजनीति करने वाले नेताओं का इंतजार ना कर परिवार के साथ अपनों व बड़़ों का सम्मान कर परंपरा को कायम रखें।
इंदौर
धोक पड़़वा का वैभव लौटाने के लिए हो रहे एकजुट
- 29 Oct 2021