जबलपुर। अनाथ और गरीब बच्चों की मदद के नाम पर धर्मांतरण का खेल कर रहे नवजीवन रिहैबिलेशन सेंटर की मान्यता निरस्त कर दी गई। एकता मार्केट बिलहरी स्थित करूणा नवजीवन रिहैबिलिटेशन सेंटर में अनाथ बच्चों को जबरन ईसाई धर्म की प्रार्थनाएं और बाइबिल पढ़ाया जा रहा था। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने संस्था के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद ये निर्णय लिया है। इस संस्था में रह गए 7 दिव्यांगों को उज्जैन के आश्रम में शिफ्ट किया जाएगा।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली की टीम एवं राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य देवेंद्र मोरे की अगुवाई में 18 नवंबर को इस सेंटर का निरीक्षण किया गया था। जांच में बहुत सी अनियमितताएं मिली थीं। 10 दिसंबर को आयोग के जांच प्रतिवेदन के आधार पर स्थानीय स्तर पर 14 दिसंबर को जांच कराई गई।
15 दिसंबर को आयुक्त नि:शक्तजन ने किया था निरीक्षण
आयोग के बाद आयुक्त नि:शक्तजन ने 15 दिसंबर को संस्था नवजीवन का निरीक्षण किया। निरीक्षण रिपोर्ट में संस्था में मिली अनियमितताओं और संस्था की मान्यता के लिए जरूरी शर्तों का उल्लंघन मिलने पर पंजीयन प्रमाण पत्र तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की अनुशंसा की थी।
31 मार्च 2022 तक थी मान्यता
संस्थान ने दो अप्रैल 2019 को संस्था के पंजीयन का नवीनीकरण कराया था। इसके अनुसार उसकी मान्यता 31 मार्च 2022 तक थी, पर संयुक्त संचालक आशीष दीक्षित ने राष्ट्रीय बाल आयोग और आयुक्त नि:शक्तजन की रिपोर्ट के आधार पर संस्था का पंजीयन प्रमाण पत्र तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया।
07 दिव्यांगों को उज्जैन में रखने का आदेश जारी
कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने करुणा नवजीवन रिहैबिलेशन सेंटर की मान्यता निरस्त होने के बाद वहां रह गए 07 मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को उज्जैन स्थित सेवाधाम आश्रम अम्बोदिया ग्राम गंभीर डेम के पास शिफ्ट करने का आदेश दिया है। दरअसल जबलपुर में कोई मानसिक दिव्यांग विद्यालय पुर्नवास केंद्र नहीं है। इन सात मानसिक दिव्यांगों में दो युवतियां और पांच युवक हैं।
बिना अनुमति छोटे ब्रच्चों को रखा
अनाथ बच्चों को बिना शासन की अनुमति के बिना इस संस्था में रखा गया। संस्था के मैनेजर अभिनव के मुताबिक उनके द्वारा शासन से लगातार पंजीयन के लिए पत्राचार किया गया लेकिन अनुमति नहीं मिली। सामाजिक न्याय विभाग की तरफ से डा. रामनरेश पटेल नोडल अधिकारी नि:शक्तजन अपनी टीम के साथ पहुंचे, तो दिव्यांगजनों को बाधारहित माहौल में नहीं पाया।
यहां प्रथम मंजिल में उनके रहने की व्यवस्था की गई थी। स्थानीय पंजीयन लेने के बावजूद संस्था में बेंगलुरू और इसके आसपास के ही अनाथ मानसिक दिव्यांगों को रखा गया था। इस संस्था के अध्यक्ष जगदीप किशोर जहां दिल्ली में मौजूद मिले। वहीं अन्य सदस्यों का मुंबई, भोपाल, इंदौर और नरसिंहपुर में रहना पाया गया।
जबलपुर
धर्मांतरण कराने वाली संस्था की मान्यता निरस्त, 7 दिव्यांगों को उज्जैन किया जाएगा शिफ्ट
- 18 Dec 2021