इंदौर। नगर निगम के लेखा विभाग का करोड़पति क्लर्क राजकुमार सालवी कभी अस्थायी मस्टरकर्मी हुआ करता था। 1997 में ड्यूटी जॉइन की थी। 19 साल बाद 2016 में परमानेंट होने के बाद उसे प्रमोशन मिला और क्लर्क हो गया। उसके साथ नौकरी पर लगने वाले मस्टरकर्मी अभी तक अस्थायी हैं। परमानेंट होने के लिए उसने मोटी घूस दी। ईओडब्ल्यू के छापे में यह खुलासा हुआ है। गुरुवार को टीम ने उसके ठिकनों पर छापे मारे थे, जिसमें करोड़ों की संपत्ति सामने आई थी।
नौकरी में आने के बाद सबसे पहले उसने अंबिकापुरी में घर बनाया। इस मकान से कुछ दूर ही एक और प्लॉट खरीदकर दूसरा घर बनवाया। इसे किराए पर चढ़ा दिया। बगल में एक और प्लॉट खरीदा। इसके अलावा सीता कॉलोनी में एक तो मोहता बाग की ही एक बिल्डिंग में दो फ्लैट खरीद लिए। राजकुमार सात भाई-बहन में सबसे छोटा है। पिता पन्नालाल, नवीनचित्रा सिनेमाघर में नौकरी करते थे। उनके तीन बेटी और चार बेटे (अशोक, विजय, सतीश और सबसे छोटा राजा उर्फ राजकुमार सालवी है)। परिवार बियाबानी के कंजर मोहल्ले में दो कमरों के घर में रहता था। पन्नालाल का विजयनगर में एक प्लॉट था। जिसे बेचने के बाद सभी बच्चों को हिस्सा दिया गया था। राजकुमार पिता के साथ ही रहता था। पिता की मौत के बाद राजकुमार पत्नी किरण को लेकर अलग हो गया। शुरुआत में एयरपोर्ट इलाके में ही किराए के घर में रहने लगा।
इंदौर
निगम का क्लर्क कभी किराए से रहता था, एक के बाद दूसरा मकान बनवाया, पड़ोस के प्लॉट, फ्लैट खरीद लिए
- 29 Oct 2021