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बैतूल

नौनिहालों के लिए फरिश्ता बनीं टीचर

  • 06 Aug 2022

रोज 17 बच्चों को स्कूल लाती-ले जाती हैं; बोलीं-मेरी कोई संतान नहीं, ये ही मेरे बच्चे
बैतूल।  सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे करती हैं। बच्चों के भविष्य के नाम पर कई योजनाओं में करोड़ों रुपए खर्च भी करती है। लेकिन, ग्रामीण इलाकों में अभी भी शिक्षा व्यवस्था बदहाल हैं। इन हालातों में भी कुछ टीचर ऐसे है जो खुद ही शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। ऐसी ही बानगी बैतूल जिले में देखने को मिली। जहां एक महिला टीचर रोज 17 बच्चों को उनके घर से स्कूटी से स्कूल लाती हैं। फिर छोडऩे भी जाती हैं। उन्हें सब स्कूटी वाली मैडम के नाम से जानते हैं।
दरअसल, जिले के भैंसदेही का धुडिय़ा दुर्गम इलाका है। यहां गांव से स्कूल की दूरी दो किमी है। साधन नहीं होने के कारण बच्चों को पैदल स्कूल जाना होता है। ऐसे में ज्यादातर बच्चों ने स्कूल जाना ही बंद कर दिया। नतीजा यह हुआ कि स्कूल बंद होने की कगार पर पहुंच गया। ऐसे में स्कूल बंद होने से बचाने का बीड़ा शिक्षिका अरुणा महाले ने उठाया। उन्होंने स्कूल छोड़ चुके बच्चों को स्कूटी से घर से लाना और ले जाना शुरू किया। अभी वे 17 बच्चों का लाती और छोड़ती है। अब हालत ऐसी है यहां बच्चों की संख्या 85 तक पहुंच गई है। उन्हें लोग स्कूटी वाली टीचर के नाम से पुकारते हैं।