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इंदौर

निमाड़ में भी उग रहे एप्पल, 65 साल के 8वीं पास किसान ने 6 एकड़ में पौधे लगाए

  • 25 Feb 2022

खरगोन। खरगोन के कसरावद के 8वीं पास 65 साल के किसान सुरेंद्र पाचोटिया ने खेती में कई प्रयोग किए। इसी में से एक प्रयोग किया एप्पल पर। निमाड़ की गर्म जलवायु के बावजूद वे खेत में एप्पल की फसल उगा रहे हैं। उन्होंने एक साल पहले सुर्खलाल रंग का एप्पल खेत में देखा तो खुश होकर उसकी फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी। यह फोटो दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के सूरीनाम देश में रहने वाले भारतीय मूल के एक व्यक्ति को काफी पसंद आई। उसने एप्पल को सराहते हुए तारीफ की।
तब से सुरेंद्र ने ठान लिया कि किसी न किसी दिन निमाड़ का अपना एप्पल भी होगा। इसकी खेती भी होगी और बाजार में भी पसंद किया जाएगा। उसके बाद से ही वे एप्पल उगाने में जुटे हुए हैं। किसान सुरेंद्र ने तीन साल निमाड़ में एप्पल की खेती का काम शुरू किया था। उन्होंने 40 पौधों से खेती शुरू की, जिनसे वे फल भी ले चुके हैं। एप्पल की खेती अच्छी रही तो उन्होंने 200 नए पौधे लगा दिए। 45 साल से खेती कर रहे सुरेंद्र को विश्वास है कि एक दिन निमाड़ का अपना एप्पल होगा।
सुरेंद्र ने खेती उस समय शुरू की थी, जब एच-4 कॉटन किस्म (कपास) पहली-पहली बार निमाड़ में आई थी। इनके ही खेत में डेमो लगाया गया था। उसके बाद से ही उन्होंने खेती में नए प्रयोग करने शुरू कर दिए थे। मूल रूप से गन्ने की खेती कर रहे सुरेंद्र अब इसके साथ अमरूद, गन्ने की विभिन्न किस्मों और सब्जियों की नर्सरी तैयार करने में लगे हुए हैं।
नरवाई जलाते नहीं, बनाते हैं उपयोगी जैविक खाद
मूल रूप से गन्ने की खेती करने वाले किसान सुरेंद्र ने 6 एकड़ में गन्ने की खेती करते हैं। गन्ने में बड़ी संख्या में नरवाई निकलती है। जिसे किसान आग लगाकर राख बना देते हैं, लेकिन किसान ने जरा हटकर फंडा अपनाया है। गन्ने के ठूंठ बच जाते हैं। ऐसे में गन्ने की दूसरी फसल लेना है, तो गन्ना कटने के बाद बेड (गन्ने की बेड) के दोनों ओर कल्टीवेटर से जड़ें खोल लेते हैं। इससे मिट्टी ऊपर हो जाती है और दूसरी ओर मिट्टी नरवाई पर चढ़ जाती है। फिर दो से तीन पानी और रोटावेटर चला देते हैं। गन्ना पकने से पहले जैविक खाद खेत में ही तैयार हो जाती है।
50 डिग्री में तैयार हो जाता है एप्पल
पाटीदार समाज अध्यक्ष और पूर्व नगर परिषद कसरावद अध्यक्ष सुरेंद्र पचोटिया का कहना है कि बिलासपुर के गांव में हरीमन शर्मा ने हरीमन-99 वैरायटी तैयार की। इस एप्पल की खास बात यह है कि यह 50 डिग्री तापमान में भी तैयार हो जाता है। मुझे जब इसके बारे में पता चला तो मैंने इसे उगाने का प्लान किया। मैंने 3 साल पहले 40 पौधे पार्सल से बुलाए थे, जो अब लहलहा रहे हैं। उनके लगने पर मैंने 200 पौधे बुलाए और इनमें अब एप्पल आने लगे हैं। पचोटिया का कहना है 6 एकड़ में एप्पल के साथ मौसंबी और गन्ना लगाए हैं। 3 साल पहले मैं केले की फसल लेता था, लेकिन एप्पल की फसल को ही आगे बढ़ाऊंगा।
बेटा और भतीजा संभालते हैं खेती
पचोटिया ने बताया कि 40 साल के बेटे नितेश और भतीजा उमेश खेती संभाल रहे हैं। मैंने एप्पल के पौधे बुलाए, तब यह सोचा नहीं था कि इसमें सफल हो जाऊंगा। जब 40 पौधों में एप्पल लगे तो उम्मीद जागी कि निमाड़ के जलवायु में भी इसे उगाया जा सकता है। निमाड़ के चार जिले खंडवा, बुरहानपुर, बड़वानी और खरगोन में से केवल खरगोन में एप्पल की खेती सफल हो पाई है।
प्लास्टिक की थैली लगाने वाले पौधे हुए नष्ट
पचोटिया का कहना है एक अन्य किसान के खेत में तापमान ज्यादा होने पर पौधों को बचाने के लिए प्लास्टिक की थैली लगाई। हालांकि ये पौधे नष्ट हो गए, लेकिन जो खुले में लगाए थे, वे पनप गए। इससे उम्मीद बंधी।