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नारदा केस: तृणमूल कांग्रेस नेताओं को हाउस अरेस्ट करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची सीबीआई

  • 24 May 2021

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के नारदा घोटाला मामले में चार तृणमूल कांग्रेस नेताओं के हाउस अरेस्ट करने के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सीबीआई ने हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक की मांग की, जिसमें फिरहाद हाकिम, मदन मित्रा, सुब्रत मुखर्जी, शोवन चटर्जी को हाउस अरेस्ट में भेजा गया था। सीबीआई ने हाईकोर्ट में सोमवार को होने वाली सुनवाई को टालने की मांग भी की है।
बता दें कि कोलकाता हाईकोर्ट ने अपने फैसले में तृणमूल कांग्रेस के चारों नेताओं को हाउस अरेस्ट रहने का आदेश दिया था। यह फैसला कोलकाता हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की पीठ ने सुनाया । हालांकि फैसले को लेकर पीठ में आम सहमति नहीं दिखी। कोलकाता हाईकोर्ट ने टीएमसी के दो मंत्री सुब्रत मुखर्जी और फरहाद हकीम और तृणमूल कांग्रेस विधायक मदन मित्रा एवं कोलकाता के पूर्व मेयर शोबन चटर्जी को जमानत दे दी थी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अंतरिम जमानत दी गई , लेकिन चारों हाउस अरेस्ट रहेंगे।
मंत्रियों की गिरफ्तारी पर दफ्तर के बाहर हंगामा
गौरतलब है कि सीबीआई ने जब टीएमसी नेताओं के खिलाफ दबिश दी और जांच शुरू की थी तो अहम सबूत मिलने का दावा किया। सीबीआई ने टीएमसी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। जिसके बाद सीबीआई दफ्तर के बाहर हंगामा और पथराव किया गया। टीएमसी कार्यकर्ताओं पर पथराव करने का आरोप लगा। गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी सीबीआई को चुनौती दी थी कि हिम्मत हो तो उन्हें गिरफ्तार करके दिखाए। 
क्या है नारदा घोटाला?
साल 2016 में बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले नारदा स्टिंग टेप का खुलासा किया गया था। ऐसा दावा किया गया था कि ये टेप साल 2014 में रिकॉर्ड किए गए थे। इसमें टीएमसी के मंत्री, सांसद और विधायक और कोलकाता के मेयर को कथित रूप से एक काल्पनिक कंपनी के प्रतिनिधियों से रकम लेते दिखाया गया था। यह स्टिंग ऑपरेशन नारदा न्यूज पोर्टल के सीईओ मैथ्यू सैमुअल ने किया था। साल 2017 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने इन टेप की जांच का आदेश सीबीआई को दिया था।
credit- अमर उजाला