अंग्रेज, भारत को सत्ता का हस्तांतरण कैसे करें, इसकी प्रक्रिया पर चर्चा हो रही थी। लॉर्ड माउंटबेटन को भारतीय परंपरा की जानकारी नहीं थी, इसलिए उन्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरू से पूछा सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया क्या होनी चाहिये? इस पर नेहरू असमंजस में पड़ गए, उन्होंने कुछ समय मांगा। इसके बाद नेहरू ने सी. राजगोपालाचारी से इस बारे में चर्चा की। राजगोपालाचारी - 'राजा जी' ने कई ग्रंथों का अध्ययन कर उन्होंने सेंगोल की प्रक्रिया को चिन्हित किया। हमारे यहां सेंगोल के माध्यम से सत्ता के हस्तांतरण को चिन्हित किया गया है। सेंगोल आठवीं शताब्दी के चोल साम्राज्य से चली आ रही सभ्यतागत प्रथा है। हालांकि देश के ज्यादातर लोगों को इसके बारे में कुछ जानकारी ही नहीं है ।
देश के गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जब गोल और उसके महत्व के बारे में पता चला तब उन्होंने इसकी गहन जांच करवाई। इसके बाद निर्णय लिया गया कि इसे देश के सामने रखना चाहिए। सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से उपयुक्त तथा पवित्र स्थान कोई और हो ही नहीं सकता। इसलिए जिस दिन नया संसद भवन देश को समर्पित किया गया उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु के आदीनम् (मठ) से गोल ग्रहण किया और लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास इसे स्थापित किया। आदीनम् के संतों से आशीर्वाद के दौरान पीएम मोदी ने कहा, "सेंगोल को वह पहचान और पद मिल रहा है जिसका वह हकदार है। यह हमें अपने कर्तव्य पथ पर चलने की याद दिलाएगा। लोकतंत्र के मंदिर में इसे अपना उचित स्थान मिल रहा है।"
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई 2023 को नए संसद भवन के उद्घाटन के साथ ही न्याय और निष्पक्षता की भावना का प्रतीक पवित्र 'सेंगोल' भी संसद में स्थापित किया।
सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक सेंगोल (राजदंड) को वैदिक मंत्रोच्चार के साथ लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास लगाया गया है।
14 अगस्त, 1947 की रात पंडित जवाहर लाल नेहरू ने तमिलनाडु के थिरुवदुथुराई आदीनम् (मठ) से विशेष रूप से पधारे आदीनमों (पुरोहितों) से सरकार को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में 'गोल' ग्रहण किया था।
'सेंगोल' शब्द तमिल शब्द 'सेम्मई' से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'नीतिपरायणता'। 'न्याय' के प्रेक्षक के रूप में, अपनी अटल दृष्टि के साथ देखते हुए हाथ से उत्कीर्ण नंदी इसके शीर्ष पर विराजमान हैं। • गोल को ग्रहण करने वाले व्यक्ति को न्यायपूर्ण और निष्पक्ष रूप से शासन करने का 'आदेश' (तमिल में 'आणई) होता है। • महान चोल साम्राज्य में सेंगोल को, कर्तव्यपथ का, सेवापथ का, राष्ट्रपथ का प्रतीक माना जाता था।
इस पवित्र समारोह में 96 साल के वुम्मिडी बंगारू चेट्टी भी सम्मिलित हुए जो सेंगोल के निर्माण से जुड़े रहे हैं।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 24 मई को राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में 'सेंगोल' से जुड़ी वेबसाइट भी लॉन्च की।
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श्रमिकों के लिए विशेष गैलरी
नए संसद भवन का निर्माण करने वाले श्रमिकों के श्रम को समर्पित एक डिजिटल गैलरी बनाई गई है। ये गैलरी आने वाली पीढ़ियों को भी ये याद दिलाएंगी कि लोकतंत्र की नींव में एक ओर संविधान है, तो दूसरी ओर श्रमिकों का योगदान भी है। यही प्रेरणा, श्रम से सफलता का मार्ग प्रशस्त करेगी। ये विश्व में शायद पहली बार हुआ होगा ।
श्रमिकों को प्रमाण पत्र
निर्माण में जुटे सभी श्रमिकों के लिए डिजिटल संग्रहालय स्थापित करने का निर्देश पीएम मोदी ने 26 सितंबर 2021 को दिया था, जिसमें श्रमिकों के नाम, स्थान का नाम, तस्वीर और व्यक्तिगत विवरण शामिल करना है। इसका उद्देश्य निर्माण कार्य में उनके योगदान को पहचान दिलानी है सभी श्रमिकों को उनकी भूमिका और इस प्रयास में भागीदारी के बारे में एक प्रमाण पत्र देने का भी निर्देश दिया गया है।
आज का दिन हम सभी देशवासियों के लिए अविस्मरणीय है। संसद का नया भवन हम सभी को गर्व और उम्मीदों से भर देने वाला है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह दिव्य भव्य भारत जन-नन के सशक्तीकरण के साथ ही, राष्ट्र की समृद्धि और .. सामर्थ्य को नई गति और शक्ति प्रदान करेगी ।
-नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री
-संकलनकर्ता
एल एन उग्र
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नई संसद में स्थापित हुआ न्याय और निष्पक्षता का प्रतीक 'सेंगोल'
- 04 Aug 2023