भोपाल। नेत्रदान से ज्यादा महान काम और क्या होगा? जिसकी आंखों की रोशनी चली जाती है वे कल्पना भी करना छोड़ देते हैं कि दोबारा दुनिया देख सकेंगे। लेकिन नेत्रहीन भी देख सकें इसके लिए एक माता-पिता ने अपनी 18 दिन की बच्ची की मौत के बाद भी उसे जिंदा रखा है। मध्यप्रदेश की महज 18 दिन की बेटी अपराजिता झारखंड की यंगेस्ट आई डोनर बन गई। एमपी के शहडोल निवासी धीरज गुप्ता की बेटी अपराजिता की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। बेटी की मौत के तुरंत बाद नेत्रदान का फैसला लिया। उन्होंने दो लोगों को आंखों की रोशनी दी। यह अब तक की सबसे छोटी आई डोनर बनी। कॉर्निया रिट्रीव करने वाली डॉ. भारती कश्यप के अनुसार, अपराजिता न सिर्फ झारखंड बल्कि देश में भी सबसे छोटी टॉप 5 डोनर बन चुकी है। अपराजिता माता-पिता की पहली संतान थी। शादी के तीन साल के बाद अपराजिता का जन्म हुआ था। देशभर में 100 लोगों में सिर्फ 3 को ही कॉर्निया मिल पाता है। दूसरी ओर हर दिन हजारों लोगों की मौत होती है। लेकिन जागरूकता के अभाव में नेत्रदान करने से वंचित रह जाते हैं। यहीं वजह है कि लोगों को जागरूक करने हर साल 25 अगस्त से 8 सितंबर तक राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा के रूप में मनाया जाता है। नेत्रदान पखवाड़ा के उपलक्ष्य में आयोजित कार्याक्रम के दौरान अपराजिता की मां राजश्री व पिता धीरज गुप्ता को झारखंड के राज्यपाल द्वारा 31 अगस्त को सम्मानित किया जाएगा।
बेटी तो नहीं रही... पर उसकी आंखों से दो लोग देख रहे हैं दुनिया
अपराजिता की मौत के बाद उसके माता-पिता ने बताया कि बेटी के जन्म के बाद सिर्फ उसकी प्यारी आंखें दिखाई दे रही थीं। कश्यप आई हॉस्पिटल से संपर्क कर नेत्रदान की इच्छा जताई। तुरंत अस्पताल से टीम पहुंच कर बच्ची का कॉर्निया रिट्रिव किया। और उसे आई बैंक में सुरक्षित रखा गया। दूसरे या तीसरे दिन ही दो लोगों में इसकी कॉर्निया ट्रांसप्लांट की गई। अब दोनों मेरी बेटी की आंखों से दुनिया देख रहे हैं। बेटी तो नहीं रही, लेकिन उसकी आंखें आज भी जिंदा है।
भोपाल
नन्ही आई डोनर, 18 दिन की बेटी झारखंड की पहली यंगेस्ट आई डोनर
- 28 Aug 2021