सख्ती और प्रतिबंध के बाद भी हो रहा कम माइक्रॉन के प्लास्टिक का उपयोग
इंदौर। हमारे जीवन रोजमर्रा में उपयोग आने वाला प्लास्टिक कितना घातक है, यह सभी जानते हैं, बावजूद इसके इसका उपयोग हम लगातार कर रहे हैं, जबकि जिला प्रशासन, राज्य और केंद्र सरकार के द्वारा इसके उपयोग पर रोक लगाने को जागरूक करने के लिए कई तरह के अभियान चलाए जाकर कार्रवाई भी की जा रही है।
देखने में आया है कि पर्यावरण और मानव हित के लिए घातक होने के बावजूद प्लास्टिक और पॉलीथिन के प्रति हमारे लगाव में कोई खास कमी नहीं आई है। इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगा होने के बाद भी सिंगल यूज प्लास्टिक के साथ ही कम माइक्रॉन के प्लास्टिक का उपयोग और बिक्री शहर में अब भी हो रही है। इसकी बिक्री करने या किसी को उपयोग के लिए देने पर भारी जुर्माने का प्रावधान भी है। ऊपरी तौर पर प्लास्टिक- पॉलीथिन बंद होने के बाद प्लास्टिक बेचने वालों ने कम माइक्रॉन के पॉलिथीन कैरी बैग की शहर में सप्लाय बरकरार रखी हुई है।
सभी ने जताई है चिंता
दरअसल प्रदूषण के बड़े कारक प्लास्टिक ने देश-दुनिया की शक्ल ही बदल कर रख दी है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की एक नई रिपोर्ट में महासागरों और अन्य जल क्षेत्रों में प्लास्टिक प्रदूषण की तेजी से बढ़ती मात्रा पर चिंता जताई गई है। कहा गया है कि यह प्रदूषण आने वाले सात वर्षों में दोगुना हो जाने का अनुमान है। यह भी उजागर हुआ है कि ज्यादातर प्लास्टिक हमारी आंखों को दिखाई ही नहीं देता। समुद्र की सतह पर मौजूद लगभग 92 फीसदी प्लास्टिक माइक्रो प्लास्टिक के रूप में मौजूद है, जिसका आकार 5 मिलीमीटर से भी कम है। यह पृथ्वी के सबसे निचले हिस्सों से लेकर पहाड़ों की ऊंचाइयों में मौजूद है। यह भी उजागर हुआ है कि यह मानव शरीर में माइक्रो प्लास्टिक के रूप में भी मिलने लगा है। प्लास्टिक की भयावहता को देखते हुए हमें भी अपने दैनिक व्यवहार में बदलाव करना चाहिए। बाजार जाते समय घर से ही कपड़े की थैली लेकर जाएं। उसी में सब्जी-सामान लेकर आएं। इस मामले में नगर निगम को भी सख्ती बरतना होगी।
हाल ही में जारी रिपोर्ट में उजागर हुआ है कि प्लास्टिक के उपयोग में दुनिया में हमारा देश पांचवें क्रम पर आ गया है। इस पर हमारी निर्भरता इस कदर बढ़ गई है कि पर्यावरण के साथ हमारे स्वास्थ्य के लिए घातक होने के बावजूद यह हमारे जीवन में बराबर बना हुआ है। यह जलवायु को प्रभावित करने वाला सबसे बड़ा कारक भी बन गया है। यानी कि अब तो इसे जलवायु समस्या भी करार दे दिया गया है।
गिनती के लोगों के पास ही कपड़े के झोले
इतना सब होने के बावजूद देखा जाए तो शहर वासियों के साथ-साथ दुकानदारों का भी पॉलीथिन के प्रति मोह छूट नहीं पा रहा है। यदा-कदा ही लोग झोले लिए दिखाई देते हैं। सब्जी मंडी हो या फल मंडी, किराना दुकान, या फिर अन्य कोई दुकान। पॉलीथिन का चलन पूरी तरह बंद नहीं हुआ। एक तरफ लोगों को जहां घर से कपड़े का झोला लेकर जाने की आदत नहीं, वहीं दुकानदार भी चोरी छिपे पॉलीथिन में सब्जी देने से नहीं चूक रहे। शहर के बाजारों में देखो तो इक्का-दुक्का लोग ही कपड़े के झोले का इस्तेमाल करते दिखाई देते हैं। चोरीछिपे ही सही लेकिन, अभी पॉलीथिन का चलन जारी है।
अब सीधे दुकानदारों को पहुंचा रहे
सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बंद करने को लेकर पहले ही पॉलीथिन निर्माताओं को चेता दिया गया था कि वे इसका निर्माण बंद कर दें और जितना भी माल है वह खपा दें, लेकिन इस चेतावनी का कोई दिखाई नहीं दे रहा है। प्लास्टिक बेचने वालों ने अपने कर्मचारियों को बाजार में भेजना शुरू कर दिया है। ये लोग दुकान से नहीं बेचते हुए इन कर्मचारियों को सीधे बाजारों में दुकानदारों के पास भेज कर माल दे रहे हैं। ये ही लोग खाने-पीने की दुकानों को साथ फल-सब्जियों के ठेले वालों को प्लास्टिक की थैलियां देकर आ रहे हैं। गत दिनों निगम की टीम ने दो पहिया वाहन पर पॉलीथिन दुकानों पर सप्लाय करने वाले को पकड़ा था। नगर निगम के कर्मचारी-अधिकारी कभी-कभार इक्का- दुक्का लोगों पर कार्रवाई कर अपनी ज्मिेदारी से बचते नजर आते हैं। फल-सब्जी के साथ किराना दुकान वालों पर लगातार सर्चिंग करना चाहिए। यदि सघन चेकिंग की जाए तो पॉलीथिन बैग के भंडार मिल जाएंगे।
इसलिए छिपाकर रख रहे
सब्जी खरीदते समय आपके पास बैग नहीं होने की दशा में ये लोग छिपा कर रखी गई पॉलीथिन के बैग में सामान रख कर दे देते हैं। साथ ही कहते हैं भैया नगर निगम वालों ने नाक में दम कर रखा है, इसलिए छिपा कर रखना पड़ रही है। शहर में आज भी हालात ये हैं कि फल या सब्जी वाले की दुकान पर पॉलिथीन की थैलियां मिल जाएंगीं। अधिकतर फल-सब्जी वाले अब भी इसका उपयोग कर रहे हैं। पहि नारियल पानी बेचने वाले अब भी ग्राहकों को स्ट्रा दे रहे हैं। इसके अलावा पोहे और चाट बेचने वाले प्लास्टिक की च्मचें अब भी दे रहे हैं।
DGR विशेष
नहीं छूट रहा घातक पॉलीथिन का मोह, गिनती के लोगों के पास दिखते हैं झोले या कपड़े की थैलियां

- 22 Sep 2022