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पीएम रोजगार गारंटी योजना के नाम पर हजारों लोगों से ठगी, पुलिस ने 25 महिलाएं समेत 28 लोगों को किया गिरफ्तार

  • 13 Jan 2022

नई दिल्ली। देशभर के हजारों लोगों से प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी योजना के नाम पर लोन दिलाने की बात कर ठगी का मामला सामने आया है। आरोपी लोन की रकम के साथ सब्सिडी दिलाने का झांसा देकर फर्जीवाड़ा करते थे। पुलिस ने 25 महिलाओं समेत 28 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरोह रामगढ़ महेंद्र पार्क इलाके में फर्जी कॉल सेंटर चलाकर ठगी कर रहा था।
पुलिस ने आरोपियों के पास  से 19 मोबाइल फोन, चार कंप्यूटर, एक लैपटॉप, 83500 नकद  बरामद किया है। पकड़े गए चार मुख्य आरोपियों की पहचान गाजियाबाद निवासी सुनीता शर्मा (40), दिल्ली निवासी योगेश मिश्रा (34), सुभान खान (25) और दीकू (22) के रूप में हुई है जबकि दो मुख्य आरोपी फरार हो गए।  पुलिस आरोपी योगेश और सुभान को रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है। फर्जीवाड़े के दो मुख्य आरोपी सुशील भारती और विजय भारती फरार हो गए। पुलिस उनकी तलाश में जुटी है।
पुलिस उपायुक्त प्रणव तायल ने बताया कि सेक्टर-5, रोहिणी निवासी महिला ने बुध विहार थाने में ठगी की शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़िता के पास सतीश नामक शख्स का कॉल आया। कॉलर ने खुद को बैंक का कर्मचारी बताकर लोन देने का ऑफर दिया। आरोपी ने बताया कि प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी योजना के तहत बैंक कम ब्याज दरों पर लोन दे रहा है। 
यदि वह छह लाख रुपये लोन लेती है तो एक लाख की सब्सिडी मिल जाएगी। पीड़िता फौरन लोन के लिए तैयार हो गई। आरोपियों ने कुछ औपचारिताएं पूरी करने के बाद पीड़िता से कहा कि उनको 21500 रुपये खाते में डालना होंगे जो लोन के साथ वापस आ जाएंगे। पीड़िता ने ऐसा ही किया और बताए गए खाते में रकम ट्रांसफर कर दी। पीड़िता के नंबर को आरोपियों ने ब्लॉक कर दिया। शिकायत मिलने के बाद एसएचओ खेमेंद्र पाल सिंह, एसआई सुरेंद्र खत्री की टीम ने मामले की जांच शुरू की।
जांच में पता चला कि रकम सतीश कुमार के खाते से सुभान खान नामक यूपीआई अकाउंट में ट्रांसफर हुई थी। मंगलवार को जीटीके डिपो, रामगढ़, महेंद्र पार्क इलाके में एक बिल्डिंग में दबिश दी। मौके पर कॉल सेंटर से पुलिस ने 25 महिलाओं समेत कुल 28 को काबू किया। इनमें 24 लड़कियां टेलीकॉलर थीं। बाकी सुनीता, योगेश, सुभान, दीकू ठगी में साथ दे रहे थे। गैंग के दो मुख्य आरोपी सुशील भारती और विजय भारती मौके से फरार हो गए।
शुरुआती जांच में पता चला है कि आरोपी कई वर्षों से फर्जी कॉल सेंटर चलाकर ठगी कर रहे थे। कॉल सेंटर से भारी मात्रा में दस्तावेज बरामद हुए हैं। आरोपियों ने लोगों को फंसाने के लिए 8 से 14-15 हजार रुपये तक की सैलरी पर महिलाओं को टेलीकॉलर के रूप में रखा हुआ था।  पुलिस मामले में  करोड़ों की ठगी की आशंका जता रही है।
साभार अमर उजाला