5 कुओं का अद्भुत राज, मंदिर गौशाला और ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है यहां
इंदौर शहर वैसे तो एक बड़ी धार्मिक नगरी कहलाती है क्योंकि 2 ज्योतिर्लिंग के बीच यह नगरी स्थित है। जिसे माता अहिल्या की नगरी भी कहा जाता है। यहां पर एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक धार्मिक स्थान मौजूद है। इन्हीं में से एक प्राचीन धार्मिक स्थल पंचकुइया से आपको रूबरू करा रही है हमारी डिटेक्टिव ग्रुप रिपोर्ट की टीम.....।
इंदौर। श्री पंचकुइयां मंदिर इंदौर शहर के पश्चिम क्षेत्र में स्थित है इस स्थान का 500 साल पुराना ऐतिहासिक महत्व मिलता है। वर्तमान में यहां इस अखाड़े के अधिष्ठाता संत की पांचवी पीढ़ी सेवा में जुटी हुई है यहां वर्तमान गादीपति महामंडलेश्वर लक्ष्मणानंद महाराज के निर्देशन में इस आश्रम की गतिविधियां चल रही है। इंदौर शहर में एकमात्र ऐसा स्थान है जहां पर मंदसौर में स्थित भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिकृति के दर्शन होते हैं इस एक शिवलिंग में पूरे 12 ज्योतिर्लिंग स्थित है यहां पर यूं तो पूरे साल विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं लेकिन सावन मास की बात ही कुछ और है सावन मास में सूर्य उदय से लेकर सूर्यास्त तक यहां कुछ न कुछ धार्मिक अनुष्ठान पूजन अभिषेक हवन यज्ञ आरती इत्यादि कार्यक्रम होते ही रहते हैं।
इसी आश्रम में एक बहुत ही सुंदर गोशाला है जहां सैकड़ों की संख्या में गौमाता मौजूद है। यहां गौ भक्त आकर यथाशक्ति सेवा कार्य और गौ माता को गौ ग्रास आदि समर्पित करते रहते हैं। यहां पर श्री राधा कृष्ण मंदिर भगवान श्री रामचंद्र जी के मंदिर के अलावा यहां मां नर्मदा और महाकाली के भी मंदिर स्थित है। भगवान श्री कृष्ण यह टीकम जी महाराज के नाम से भी विराजित है वही भगवान बजरंगबली के अलावा श्री काल भैरव जी की पूर्ण प्रतिमा भी इस आश्रम मैं विराजित है जहां सैकड़ों भक्त आकर दर्शन लाभ लेते हैं।
महामंडलेश्वर श्री लक्ष्मण दास जी महाराज इस प्राचीन ऐतिहासिक धार्मिक स्थान के बारे में बताते हैं कि यहां के सर्वप्रथम गादीपति बड़े ही सिद्ध संत थे जो अपनी योग शक्ति से मां गंगा में स्नान करने रोजाना जाते थे जब वे काफी वृद्ध हो गए तो उन्होंने मां गंगा से प्रार्थना की की हे मां गंगा अब मैं यहां आने में असमर्थ हूं ऐसा कोई उपाय करो की रोज आप के दर्शन हो जाये। इस पर माँ गंगा ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा कि वे स्वयं उनके आश्रम तक आएंगी। तब सन्त श्री ने पूछा कि मैं पहचानुगा कैसे इस पर मां गंगा ने कहा कि तुम्हारी कुछ निशानियां छोड़ जाओ। मैं वहां आकर उसे लोटा दूंगा इस पर उन्होंने अपनी छड़ी कमंडल छाता वही मां गंगा में विसर्जित कर दिया। जब मां गंगा यहा प्रकट हुई तब वे सारी वस्तुएं उन्हें इसी स्थान पर प्राप्त हो गई थी। यहां पर पांच छोटे कुएं है जिनकी विशेषताएं थी की किसी भी तरह की आधी व्याधि बीमारियां जिनको है वे इसमे स्नान करने मात्र से नष्ट हो जाती थी वर्तमान में देखरेख के अभाव में अभी 5 कुओं के अवशेष ही यहां दिखाई देते है। आश्रम के निकट ही किसी समय काफी सुंदर नदी बहती थी जो आमजनों की लापरवाही के कारण नाले में तब्दील हो चुकी है इसी नदी के किनारे बने सुंदर घाटो पर हजारों संतों की टोलियां स्नान करती थी यह घाट आज भी मौजूद है।
इंदौर
पंचकुइयां में होते हैं भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन, इंदौर शहर का ऐतिहासिक धार्मिक स्थल
- 17 Aug 2021