कुछ मूलभूत प्रश्न : -
( 1 ) संवेदनशील इलाकों की क्या परिभाषा है ?
( 2 ) क्या पुलिस विभाग और पुलिस की इंटेलिजेंस यूनिट ने उत्तरप्रदेश के जिलों , कस्बों और गांवों में कभी कोई गम्भीरता से अध्ययन किया है कि कौन कौन सी जगहें " संवेदनशील " हैं ?
( 3 ) इन संवेदनशील इलाकों में किस समुदाय के लोगों की बहुतायत है ?
( 4 ) क्या इन " संवेदनशील " इलाकों में काफिरों की संख्या अधिक है या शांतिदूतों की ?
( 5 ) संख्या भले ही अधिक काफिरों की हो या फिर शांतिदूतों की। क्या सरकार ने कोई ऐसी नीति बनाई है कि इन संवेदनशील इलाकों में समय समय और कभी अचानक एस ए एफ और सी आर पी एफ मिल कर सघन तलाशी अभियान चलाए ?
( 6 ) सरकार की इस विषय पर क्या नीति है , सरकार को ही ज्ञात होगा। लेकिन इस अति गंभीर विषय पर एक राष्ट्रीय नीति केंद्र सरकार को तत्काल प्रभाव से बनाना चाहिए ताकि बात बात पर तलवार लहराने वाले मवाली गुंडों की गर्दन तलवारें लहराने के पूर्व दबोच ली जाएं।
देश में एक से बढ़कर एक कानून विद हैं , अतः केंद्र सरकार को तत्काल सर्वोच्च उच्च न्यायालय के सेवनिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित करके इस विषय में कारगर रिपोर्ट तैयार करवाए और उसको कानूनी स्वरूप प्रदान करे।
आर्म्स एक्ट के अंतर्गत ५ इन्च से अधिक का चाकू रखना गम्भीर अपराध है। तलवार , चाकू और अवैध हथियारों से दहशत फैलाने वाले और निहत्थे लोगों के साथ जुल्म करने वालों पर गुंडा गर्दी करने के पहले ही नकेल कसी जा सके।
अवैध हथियारों के रखने वालों की संपत्ति जप्त करने के अतिरिक्त अनेक प्रकार के दण्ड देने के प्रावधानों पर समिति सुझाव दें सकती है। पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को विशेष अधिकार प्रदान किए जाएं ताकि वो निर्भीक होकर काम कर सकें। क्योंकि देश की बाहरी सुरक्षा का दायित्व सेना का है और आंतरिक सुरक्षा मुख्य रूप से पुलिस विभाग और उसके सहयोगी बलों पर निर्भर होती है।