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मुंबई

पार्षदी बचाने के लिए अपने बच्चे को बताया पराया

  • 13 Jul 2021

मुंबई। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक फैसले में कहा कि राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण अपने बच्चे को पराया नहीं बताना चाहिए। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने शिवसेना की एक महिला नेता की अयोग्यता को बरकरार रखा। उसके महाराष्ट्र के सोलापुर नगर निगम में पार्षद के रूप में चुनाव को दो से अधिक बच्चे होने के कारण रद्द कर दिया गया था। 
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने अनीता मागर द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सिर्फ इसलिए कि आप निर्वाचित होना चाहती थीं, इसलिए आपने अपने बच्चे को ह्यनकारह्ण दिया। अपने बच्चों को सिर्फ इसलिए अस्वीकार न करें कि आप चुनाव जीत कर एक राजनीतिक पद हासिल करना चाहती थी। मागर ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें कहा गया था कि इसके पर्याप्त सुबूत हैं कि नामांकन पत्र दाखिल करने की तारीख को मागर और उनके पति के तीन बच्चे थे, इसलिए सार्वजनिक कार्यालय चलाने के लिए राज्य सरकार के दो बच्चों के नियम के तहत उन्हें अयोग्य करार दिया गया था।
याचिकाकर्ता का दावा, तीसरा बच्चा पति के भाई का
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मागर की ओर से पेश वकील ने दावा किया कि मागर के केवल दो जैविक बच्चे हैं और तीसरा बच्चा पति के भाई का है। वकील ने कहा कि अदालत को बच्चे के हित में हस्तक्षेप करना चाहिए क्योंकि अब उसके माता-पिता पर सवाल खड़ा हो गया है। वकील ने कहा कि बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र में उसके माता-पिता का नाम अलग है लेकिन हाईकोर्ट ने मागर और उनके पति को उस बच्चे का माता-पिता माना। लिहाजा बच्चे के हितों को ध्यान में रखते हुए इस मामले में विचार करने की आवश्यकता है।