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भोपाल

प्रदेश के अधिकांश शहरों में आंशिक बादल, फ‍िर बारिश होने की संभावना

  • 03 Apr 2023

भोपाल।  वर्तमान में अलग–अलग स्थानों पर तीन मौसम प्रणालियां सक्रिय हैं। उनके प्रभाव से बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से कुछ नमी मिल रही है। इसके चलते मध्य प्रदेश के अधिकतर शहरों में आंशिक बादल बने हुए हैं।
हालांकि, धूप के तेवर तीखे होने से अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी भी हो रही है। रविवार को प्रदेश में सबसे अधिक 39 डिग्री सेल्सियस तापमान राजगढ़ में दर्ज किया गया। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक अभी दो दिन तक तापमान में धीरे–धीरे बढ़ोतरी होगी। उसके बाद प्रदेश में कहीं–कहीं फिर गरज–चमक के साथ वर्षा हो सकती है।
मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक वर्तमान में एक पश्चिमी विक्षोभ ईरान के पास ट्रफ के रूप में बना हुआ है। दक्षिण–पश्चिम राजस्थान पर हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है। छत्तीसगढ़ से लेकर तमिलनाडु तक एक ट्रफ लाइन बनी हुई है।
मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि राजस्थान पर बने चक्रवात के कारण अरब सागर से कुछ नमी मिल रही है। इसी तरह छत्तीसगढ़ से बनी ट्रफ लाइन के कारण बंगाल की खाड़ी से कुछ नमी मिल रही है। इससे मध्य प्रदेश में कहीं–कहीं आंशिक बादल बने हुए हैं।
हालांकि, बादल छंटने पर तीखी धूप निकलने से तापमान में भी बढ़ोतरी होने लगी है। अभी दो दिन तक तापमान में बढ़ोतरी हो सकती है। उधर, चार अप्रैल से नए पश्चिमी विक्षोभ के उत्तर भारत में आने की संभावना है। उसके असर से मध्य प्रदेश में मौसम का मिजाज बिगड़ सकता है। कहीं–कहीं वर्षा का सिलसिला शुरू हो सकता है, जिससे दिन के तापमान में कुछ गिरावट हो सकती है।
तपिश में कमी से लेट हो सकता है मानसून
इस वर्ष मार्च में पिछले कुछ वर्षों की तुलना में अपेक्षाकृत गर्मी कम पड़ी है। अप्रैल की शुरुआत भी ठंडी हुई है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि 10 अप्रैल तक अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास ही बने रहने की संभावना है। गर्मी के मौसम में अमूमन अप्रैल और मई में ही तापमान बढ़ता है। अच्छी तपिश होने पर बेहतर मानसून की भी उम्मीद की जाती है। इस बार अप्रैल की शुरुआत में गर्मी के ठंडे तेवर देखते हुए अच्छे मानसून को लेकर लोग आशंकित होने लगे हैं। मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला का कहना है कि मानसून के आगमन के कई कारक होते हैं, उसमें से एक अहम कारण तेज गर्मी का होना भी जरूरी है। जितनी अधिक गर्मी पड़ती है, उतनी ही तीव्रता से मानसून तय समय में आगे बढ़ता है।