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सागर

प्रदेश में अब दक्षिण अमेरिका के काले आलू की खेती

  • 24 Feb 2024

1 एकड़ में खर्च 50 हजार, मुनाफा 5 लाख रुपए तक; आयरन की कमी दूर करता है
सागर। मध्यप्रदेश में अब किसान परंपरागत खेती से हटाकर नई फसलों पर फोकस कर रहे हैं। सागर के युवा किसान दक्षिण अमेरिका में उगने वाले काले आलू की खेती कर रहे हैं। इससे सालाना 5 लाख रुपए तक कमाई हो रही है। काला आलू औषधीय फसल है, जिसके गुण और कीमत सफेद आलू के मुकाबले ज्यादा होती है। ग्राम कपूरिया के युवा किसान आकाश चौरसिया ने करीब 15 साल पहले मल्टीलेयर प्राकृतिक जैविक खेती शुरू की थी। अब दूसरे किसान भी उनसे प्रेरित हो रहे हैं। आकाश के पास 16 एकड़ जमीन है। इसमें से एक एकड़ पर काले आलू की फसल लगी है।
आकाश ने सागर जिले समेत बुंदेलखंड में पहली बार काले आलू का उत्पादन किया है। उन्होंने एक एकड़ में यह फसल लगाई थी। इसमें करीब 100 क्विंटल पैदावार हुई। वह मध्यप्रदेश समेत उत्तर प्रदेश के किसानों को काला आलू उगाने की विधि सिखा रहे हैं।
सफेद आलू की तरह ही काले आलू की होती है खेती
आकाश चौरसिया ने बताया कि काले आलू की खेती दक्षिण अमेरिका के एंडिज पर्वतीय क्षेत्रों में की जाती है, लेकिन अब इसकी खेती सागर में शुरू की है। प्रयोग के तौर पर पहली बार काले आलू की खेती की, जो सफल रही। तीन महीने में फसल आ जाती है। इस आलू की ऊपरी सतह काली और आंतरिक भाग गहरे बैंगनी रंग का होता है। काले आलू की खेती करने में एक एकड़ में किसान को करीब 50 हजार रुपए का खर्च आता है।
काला आलू खाने से दो महीने में दूर होती है आयरन की कमी
आकाश ने बताया कि ब्लैक आलू आयरन रिच के नाम से भी जाना जाता है। काले रंग का आलू, जिसका छिलका काला और अंदर गूदा काले के साथ गहरे बैंगनी रंग का होता है। आयरन की कमी से ग्रसित कोई भी व्यक्ति यदि लगातार एक से दो महीने तक काले आलू का सेवन करे, तो उसकी आयरन की कमी दूर हो सकती है। इसके अलावा, काला आलू का उपयोग अन्य औषधि के उपयोग में होता है।