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नीमच

प्रदेश में पहली बार ... 50 करोड़ का ड्रग्स खाक किया

  • 18 Jul 2023

62 हजार क्विंटल मादक पदार्थ की सुरक्षा के लिए 200 पुलिसकर्मी तैनात रहे, 70 वाहनों में भरकर लाए
नीमच। नीमच जिले की एक सीमेंट फैक्ट्री में 70 वाहनों में लोड होकर 62 हजार क्विंटल से अधिक डोडाचूरा, अफीम, गांजा स्मैक, ब्राउन शुगर, हेरोइन, चरस, कोडीन, एमडीएमए और अल्फाझोलम लाया गया। इन सबका बाजार मूल्य 50 करोड़ रुपए से अधिक होने का अनुमान है। सुरक्षा में 200 पुलिसकर्मी तैनात रहे। आईजी, डीआईजी और एसपी रैंक के अफसर भी सुबह से रात तक डटे रहे। सीमेंट फैक्ट्री में 17 जुलाई को सुबह 11 बजे ड्रग को खाक करने की प्रक्रिया शुरू हुई। यह वह ड्रग्स है जो बीते 15 सालों में प्रदेश के विभिन्न थाना पुलिस ने जब्त कर मालखाने में जमा कराया था। संभवत: यह मप्र का पहला मामला है जब इतनी भारी मात्रा में अवैध मादक पदार्थ को नष्ट करने की कार्रवाई की गई।
दरअसल, मप्र के नीमच जिले में अफीम की खेती होती है। इसके चलते यहां से बड़ी मात्रा में अवैध डोडाचूरा की सप्लाई होती है। जिसे जांच के दौरान पुलिस जब्त करती है। जब तक इसका मामला कोर्ट में चलता है ये अवैध मादक पदार्थ मालखाने में जमा रहते हैं। इसके बाद इन्हें नीमच लाया जाता है। जहां तय प्रावधानों के तहत नीमच में ही नष्ट किया जाता है। यह पहली बार है जब इतनी बड़ी मात्रा में ड्रग नष्ट किया गया। 17 जुलाई को 575 प्रकरणों में जब्त किए गए 62 हजार क्विंटल से अधिक डोडाचूरा, अफीम, गांजा स्मेक, ब्राउन शुगर, हेरोइन, चरस, कोडीन, एमडीएम और अल्फाझोलम को नष्ट कर दिया।
नीमच की जावद तहसील अंतर्गत आने वाले विक्रम सीमेंट फैक्ट्री के प्लांट में किया गया। जिसके लिए फैक्ट्री में पुलिस द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। करीब 200 से अधिक पुलिस के अधिकारी कर्मचारी इस पूरे काम में लगे रहे। नष्ट करने के लिए सीमेंट फैक्ट्री इसलिए चुनी जाती है कि एनडीपीएस एक्ट में प्रदूषण मानकों का भी ध्यान रखने का प्रावधान है।
मादक पदार्थों को नष्ट करने के लिए एनडीपीएस एक्ट के तहत प्रावधान किए गए हैं। भारत सरकार के वर्ष 2022 के गजट नोटिफिकेशन के अनुसार न्यायालय में जिन प्रकरणों का निराकरण हो चुका है। या जिन मादक पदार्थों को नष्ट करना आवश्यक हो। उन्हें नष्ट करने का विधिवत प्रावधान है। इसके लिए डीआईजी रैंक के एक अधिकारी की अध्यक्षता में समिति का गठन किया जाता है। जिसमें 2 एसपी रैंक के अधिकारी सदस्य के रूप में होते हैं। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और प्रदूषण बोर्ड के सदस्यों की मौजूदगी में यह प्रक्रिया की जाती है। नष्टीकरण की प्रक्रिया लगभग 15 दिन पूर्व शुरू हो जाती हैं जिसमें अलग-अलग जिलों के थानों से पदार्थ नष्ट करने योग्य मामलों की जानकारियां विधिवत रूप से ली जाती है। जिन्हें भोपाल व दिल्ली वरिष्ठ कार्यालय पर विभागीय तौर पर विधिवत अनुमति के भेजा जाता है।
अनुमति मिलने पर नष्टीकरण के लिए वाहनों में भरकर सीमेंट फैक्ट्री लाया जाता है। यहां भट्टी में कोयले के साथ मादक पदार्थ डाल दिया जाता है। यह थोड़ी मात्रा में डालते चले हैं। इस 62 हजार क्विंटल मादक पदार्थ को नष्ट करने के दौरान प्रदूषण न फैले इसका भी ध्यान रखने एक अफसर तैनात रहता है। आमतौर पर 3 महीनों के अंदर यह प्रक्रिया की जाती है। हालांकि, आवश्यकता अनुसार भी नष्ट करने की अनुमति लेकर नष्ट किया जा सकता है।
मार्फिन वाले ड्रग को नहीं करते नष्ट
नष्टीकरण की प्रक्रिया में ऐसे मादक पदार्थ जिनसे मार्फिन प्राप्त की जा सकती हैं। उन्हें नीमच स्थित केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो की अलकोलाइट फैक्टरी में जमा किया जाएगा। जिससे उनका मेडिसिन बनाने में उपयोग हो सके।
सतना में भी नष्ट किया एक करोड़ का गांजा
रीवा रेंज के अंतर्गत आने वाले सभी जिलों के थानों के जब्त पड़े 10 क्विंटल 46 किलो गांजे को सतना के मनकहरी स्थित प्रिज्म सीमेंट प्लांट के बॉयलर में डाल कर नष्ट कर दिया गया। नष्ट किए गए 1 टन 46 किलो गांजा की कीमत लगभग 1 करोड़ 2 लाख रुपए आंकी गई है। इस दौरान कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर रीवा रेंज के डीआईजी मिथिलेश शुक्ला के अलावा सतना एसपी आशुतोष गुप्ता, रीवा एसपी विवेक सिंह, एसडीओपी देवसर ,थाना प्रभारी रामपुर संदीप चतुर्वेदी तथा सीमेंट प्लांट का स्टाफ मौजूद रहा।