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बैतूल

प्रशासन ने कर्नाटक से किया 9 मजदूरों का रेस्क्यू

  • 22 May 2023

वापस आने पर सुनाई प्रताड़ना की दास्तां
बैतूल। जिले के 9 मजदूरों का रेस्क्यू कर उन्हें वापस बैतूल लाया गया है। ये मजदूर पहले महाराष्ट्र के शोलापुर में मजदूरी करने गए थे वहां से इन्हें कर्नाटक भेज दिया गया। वापस अपने जिले में लौटने के बाद उन्होंने राहत की सांस ली है। बताया गया कि पिछले 7 माह से इन्हें बंधुआ मजदूर की तरह काम कराया गया। इस दौरान इन मजदूरों ने कई तरह की प्रताड़ना झेली। शोलापुर में बंधुआ बनाए गए मजदूरों ने जनसाहस से उन्हें छुड़वाने के लिए संपर्क किया था, जिसके बाद प्रशासन और पुलिस से संपर्क कर मजदूरों का कर्नाटक से रेस्क्यू करवाया।
जनसाहस की कॉर्डिनेटर पल्लवी टाकरकर ने बताया कि जिले के मजदूरों को महाराष्ट्र के सोलापुर में बंधक बनाए जाने की सूचना पर पहुंची जिला प्रशासन की टीम को उस वक्त काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ गया, जब उन्हें शोलापुर पहुंचकर पता चला कि मजदूर तो कर्नाटक के कुलबर्गी जिले के हांचिनल गांव में है यहां ठेकेदार लक्ष्मण कोली और रघु ने उनसे बंधुआ मजदूरी करवा रहे थे। इसके बाद कर्नाटक स्थानीय प्रशासन से बैतूल प्रशासन द्वारा समन्वय बनाकर करीब 9 मजदूरों को सारी औपचारिकताएं पूर्ण करने के बाद वापस बैतूल लाया गया।
7 माह से थे बंधुआ-
मोहदा थाना क्षेत्र के कासमार खंडी, पडार गांव के रहने वाले 9 मजदूरों को सोलापुर में बंधक बनाए जाने की सूचना मिली थी। इनमें 5 महिलाएं और 4 पुरुष थे, जिस पर त्वरित कार्यवाही करते हुए कलेक्टर अमनबीर सिंह और एसपी सिद्धार्थ चौधरी ने एक टीम का गठन किया, जिसमें महिला एवं बाल विकास विभाग, पुलिस प्रशासन, जन साहस संस्था और अन्य की मदद से मजदूरों को छुड़ाने सोलापुर पहुंचे, यहां से सूचना मिलने के बाद कर्नाटक पहुंचकर मजदूरों को सकुशल घर लाया गया है।
गोदाम में किया जाता था रोज बंद-
बंधुआ बनाए गए मजदूरों को रोज शाम एक गोदाम में बंद कर दिया जाता था, जहां न तो शौच की कोई व्यवस्था थी और न ही लघुशंका जाने का कोई साधन था। बंद मजदूरों को इसी गोदाम के एक कोने में शौच क्रिया निपटानी पड़ती थी। खाने के नाम पर दाल और चावल दिया जाता था, जिसमें भी कीड़े पड़े रहते थे।