खंडवा। जिले की जामनिया पंचायत के गांव नेगांव में प्रशासन ने आदिवासी समाज के करीब 19 परिवारों को खदेड़कर कर 90 हेक्टेयर जंगल से बेदखल कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के इतर जाते हुए बलपूर्वक उनसे मारपीट की, फॉरेस्ट व पुलिस ने किसी की गिरफ्तारी तो कई लोगों का अपहरण कर लिया। पुलिस की मौजूदगी में ग्रामीणों ने इन परिवारों के मुर्गे-मुर्गी और राशन का सामान तक लूट लिया।
यह आरोप आदिवासी जनमंच की सामाजिक कार्यकर्ता माधुरी बेन ने लगाए है। सोमवार को वह कलेक्टर अनय दिवेद्वी से मिली और सुप्रीम कोर्ट व राज्य शासन के निर्देशों का हवाला दिया। बताया कि आदिवासी के घर तोड़कर व फसल नष्ट करके प्रशासन ने वन अधिकार अधिनियम का उल्लंघन किया है। इसके अलावा मप्र शासन व जबलपुर हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन भी किया गया। इस कार्रवाई के दौरान स्थानीय दावेदारों को अवैध तरीके से हिरासत में लिया गया। उनके मोबाइल छिन लिए गए तो मारपीट की गई। डीएफओ चरणसिंह के नेतृत्व में पूरी तरह अवैध रूप से कार्रवाई की गई। जिम्मेदार अधिकारियों पर अत्याचार अधिनियम की धाराओं में केस दर्ज किया जाए। अन्य लोगों पर मारपीट व डकैती की धाराओं में प्रकरण बनाए जाए।
भ्रष्ट अफसर ही करवा रहे हीरापुर के जंगलों में अतिक्रमण
माधुरी बेन समेत जागृत आदिवासी दलित संगठन के कार्यकर्ताओं ने कहा कि फॉरेस्ट विभाग के यहीं भ्रष्ट अफसर जंगलों में अतिक्रमण करवा रहे है। खुद वनमंत्री विजयशाह के विस क्षेत्र में हीरापुर के जंगलों को नष्ट किया जा रहा है। जबकि वहां बाहरी लोग जंगलों को तोड़कर जमीन निकाल रहे है और अफसर उन्हें संरक्षण दे रहे है। शनिवार को वन अधिकार के स्थानीय दावेदारों पर असंवैधानिक तरीके से कार्रवाई कर दी।
खंडवा
प्रशासन पर अवैध कार्रवाई का आरोप
- 13 Jul 2021