Highlights

इंदौर

पुलिस की लाख समझाइश, जागरूकता अभियान और कार्रवाई के बाद भी ... नहीं है स्पीड पर कंट्रोल

  • 28 Nov 2022
  • सारे प्रयास के बाद भी हो लगातार बढ़ रहे सड़क हादसें
  • 2022  में सड़क दुर्घटनाओं में  30  प्रतिशत ज्यादा मौतें


इंदौर। शहर में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू होने के बाद सबसे अधिक फोकस यातायात को लेकर रहा है। इसके चलते वाहन चालकों को यातायात के नियमों के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं। वहीं पुलिस सड़कों पर तेज गति से वाहन दौड़ाने वालों को समझाइश देने के साथ ही चालानी कार्रवाई भी करती है। कुल मिलाकर पुलिस का प्रयास रहता है कि सड़क हादसें कैसे भी रोकें जाए, जिससे निर्दोष लोगों की जान न जाए, लेकिन सारे प्रयासों के बाद भी सड़क हादसों में कमी नहीं अ रही है। वर्ष 2021 के मुकाबले वर्ष 2022 के दस महिनों में सड़क हादसों में करीब 30 प्रतिशत मौतें ज्यादा हुई है। वहीं घायलों की संख्या भी बढ़ी है।  कुल मिलाकर देखा जाए तो हर दिन कोई न कोई निर्दोष सड़क हादसों में मौत का शिकार हो रहा है।
ऐसा नहीं है कि इन हादसों पर अंकुश लगाने के लिए यातायात पुलिस कोई ठोस कदम नहीं उठाती है। जिन स्थानों पर ज्यादा हादसे होते हैं उन ब्लैक स्पॉट को चिह्नित किया गया है, लेकिन सभी ब्लैक स्पॉट पर पूरी तरह से सुधार नहीं हो सका है। सड़क हादसों में एक और बात सामने आई है कि अधिकांश हादसे वाहनों की तेज गति और नशा कर गाड़ी चलानेसे होते हैं। पुलिस के द्वारा वाहनों की गति पर कंट्रोल करने के लिए लगातार अभियान चलाते हुए चालानी कार्रवाई और वाहन चालकों को समझाइश के लिए अभियान भी चलाया जाता है, लेकिन बावजूद इसके वाहनों की स्पीड पर चालक कंट्रोल नहीं रखते और परिणाम स्वरूप सड़क हादसे होते हैं।
क्रियान्वयन धीमा
सड़क हादसों को रोकने के लिए उपाय सुझाने वाली सड़क सुरक्षा समिति की बैठक हर माह होती है, लेकिन इस बैठक में बनने वाली योजनाओं पर क्रियान्वयन धीमा है। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुछ माह पहले हुई बैठक में तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों को बायपास की सर्विस रोड की दुर्दशा पर फटकार लगाते हुए इसमें सुधार करने के निर्देश दिए थे। लेकिन सर्विस रोड की हालत जस की तस है। इस साल की शुरूआत में सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के रिपोर्ट में भी सड़क सुरक्षा समिति की बैठक और उसका पालन करने के लिए कहा गया था। इंदौर में भी लगातार बैठकें होती रहती हैं। कलेक्टर खुद इस कमेटी के अध्यक्ष होते हैं। इसके अलावा एनएचआइ, आरटीओ, नगर निगम, पीडब्ल्यूडी और ट्रैफिक पुलिस सहित दूसरे विभागों के अधिकारी भी शामिल होते हैं। इसमें शहर के यातायात और सड़क हादसों, ब्लैक स्पाट जैसे मुद्दों पर चर्चा होती है।
विजन जीरो के बाद भी मृत्यु दर में नहीं कमी
प्रदेश में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए विजन जीरो योजना प्रारंभ की गई। इसका उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु दर कम करना है। इस लक्ष्य को पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के अगस्त 2021 के निर्णय के परिपालन में हर जिले में सड़क सुरक्षा समिति गठित की गई है। योजना में शिक्षा, इंजीनियरिंग, पुलिस, परिवहन, चिकित्सा सेवा विभाग के मध्य समन्वय से प्रतिवर्ष कम से कम 10 प्रतिशत मृत्युदर कम करने का लक्ष्य है। बावजूद इसके प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में मृतकों की संख्या और मृत्यु दर कम नहीं हो रही।
नहीं सुधरते वाहन चालक
देश में होने वाले सड़क हादसों में कहीं न कहीं वाहनों की गति अधिक होने की बात सामने आती है। अच्छी सड़कों का निर्माण होने से लोग गतिसीमा का पालन नहीं करते हैं, उसी से हादसे होते हैं। इंदौर में ही इस साल अब तक तेज गति के 755 चालान बन गए हैं। फिर भी वाहन चालक सुधरने को तैयार नहीं हैं। इसके अलावा एक बड़ी परेशानी यह है कि गति मानक की सूचना देने वाले बोर्ड भी नहीं हैं।
शहर में गति 50 से अधिक नहीं
इंदौर नगर निगम सीमा में भारी वाहनों की अधिकतम गतिसीमा 40 से अधिक नहीं हो सकती जबकि छोटे वाहनों के लिए यह 50 किलोमीटर प्रतिघंटा है। याताया पुलिस जो कार्रवाई कर रही है, उसमें लोग 60 से 70 किलोमीटर की गति से गाड़ी दौड़ाते पकड़े जाते हैं। अगर कोई बहुत ही खतरनाक तरीके से गाड़ी चलाता है, तो उसके खिलाफ पुलिस प्रकरण दर्ज कर वाहन भी जब्त हो सकता है।
कम किए हैं ब्लैक स्पॉट
डीसीपी ट्रैफिक महेशचंद जैन बताते हैं, सड़क सुरक्षा समिति की बैठक कलेक्टर कार्यालय से आयोजित की जाती है। सभी विभाग इसमें अपने सुझाव देते है। जिन पर काम होता है। अगली बैठक में इस पर समीक्षा करते हैं। कुछ समय में हमने ब्लैक स्पाट कम किए हैं, जिससे सड़क हादसो में कमी आ रही है।