इंदौर। आखिरकार बीते कई दिनों जिसका इंतजार किया जा रहा था। वह कमिश्नर सिस्टम भोपाल और इंदौर में गुरुवार शाम से लागू हो गया है। भोपाल-इंदौर में फिलहाल पुलिस महानिरीक्षक (आई स्तर के अधिकारी कमिश्नर बनाने की पूरी तैयारी हो गई है। इसके साथ ही दोनों शहरों में अब जहां पुलिस के अधिकार बढ़ जाएंगे, वहीं पुलिस की जिम्मेदारी भी और बढ़ जाएगी। अभी तक प्रदेश की राजधानी भोपाल और मां अहिल्या की नगरी व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के सपनों के शहर इंदौर में कलेक्टर व प्रशासनिक अधिकारियों के पास जो अधिकार थे उनमें अधिकांश पुलिस अधिकारियों के पास आ जाएंगे।
नए सिस्टम के अंतर्गत भोपाल-इंदौर में मुंबई की तर्ज पर क्राइम ब्रांच, ट्रैफिक के लिए अलग-अलग डीसीपी नियुक्ति होंगे। इनके अधीन एसपी स्तर के दो-दो अधिकारी तैनात रहेंगे। क्राइम ब्रांच को संगीन अपराधों की विवेचना और छानबीन का काम सौंपा जाएगा। इसी तरह, शहर की यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने का जिम्मा ट्रैफिक डीसीपी के पास रहेगा। वहीं बड़े मामलों की जांच के लिए उप पुलिस आयुक्त क्राइम तैनात किए जाएंगे। इनके सहयोग के लिए अन्य अधिकारी दिए जाएंगे। बड़े मामलों की जांच उप पुलिस आयुक्त क्राइम को सौंपी जाएगी। वहीं, यातायात व्यवस्था को देखने के लिए भी उप पुलिस आयुक्त की पदस्थापना होगी। पुलिस आयुक्त प्रणाली के लिए पदों का सृजन किया जाएगा। इसके लिए वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा जाएगा।
36 थाने शामिल
कोतवाली, एमजी रोड, तुकोगंज, संयोगितागंज, छोटी ग्वालटोली, पलासिया, विजय नगर, लसूडिय़ा, एमआईजी, खजराना, कनाडिया, तिलकनगर, परदेशीपुरा, हीरानगर, आजाद नगर, तेजाजी नगर, बाणगंगा, रावजी बाजार, राऊ, जूनी इंदौर, सराफा, भवंरकुआं, पंढरीनाथ, मल्हारगंज, छतरीपुरा, द्वारकापुरी, चंदन नगर, सदर बाजार, एरोड्रम,राजेंद्र नगर, अन्नपूर्णा नगर, गांधीनगर, महिला थाना, अजाक थाना, ट्रैफिक थाना व क्राइम ब्रांच। अभी इन थानों को किस तरह जोन वाइज बांटा जा रहा है,
ये थाने एसपी ग्रामीण दायरे में - महू, मानपुर, किशनगंज, बडग़ौंदा, खुड़ैल, सांवेर, चंद्रावतीगंज, हातौद, क्षिप्रा, गौतमपुरा, देपालपुर, सिमरौल और बेटमा।
क्या है कमिश्नर सिस्टम?
आजादी से पहले अंग्रेजों के दौर में कमिश्नर प्रणाली लागू थी। इसे आजादी के बाद भारतीय पुलिस ने अपनाया। इस वक्त यह व्यवस्था देश के 72 से अधिक महानगरों में लागू है। भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 के भाग 4 के तहत जिला अधिकारी के पास पुलिस पर नियंत्रण करने के कुछ अधिकार होते हैं। इसमें दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को कानून और व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए कुछ शक्तियां देती है।
पुलिस को ये अधिकार मिलेंगे
पुलिस एक्ट: मेट्रोपोलिटिन में पुलिस आयुक्त के अधीन पुलिस का प्रशासन रहेगा। वे डीजीपी के नियंत्रण व परिवेक्षण में रहेंगे।
बंदी अधिनियम: जेल में बंद कैदियों को पैरोल और आपातकाल में पैरोल बोर्ड की अनुशंसा पर सशर्त छोड़ा जाएगा।
विष अधिनियम: गैर कानूनी जहर या तेजाब रखने अथवा बेचने वालों की तलाश और उनसे जब्ती की जाएगी।
अनैतिक व्यापार अधिनियम: वेश्यावृत्ति के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी। इस पेशे में धकेली गईं महिलाओं को मुक्त कराया जा सकेगा। संरक्षण गृह में भेजा जा सकेगा।
कानून के खिलाफ एक्टिविटी: केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित संगठनों की गैरकानूनी गतिविधियों को प्रतिबंधित किया जा सकेगा।
मोटरयान अधिनियम: वाहनों की पार्किंग अथवा उनके रुकने के स्थान अधिकारियों से समन्वय कर निर्धारित किए जा सकेंगे। वाहनों की गति सीमा निर्धारित होगी।
मप्र सुरक्षा अधिनियम: गुंडे बदमाशों को और ऐसे अपराधी तत्वों के गैंग व आदतन अपराधियों को जिलाबदर किया जा सकेगा।
शासकीय गुप्त बात अधिनियम: सरकारी गोपनीय दस्तावेज रखने और इस अधिनियम के विरुद्ध की गई गतिविधियों पर कार्रवाई की जा सकेगी।
इंदौर
पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू ... अब मुंबई की तर्ज पर क्राइम ब्रांच, संगीन अपराधों की विवेचना और छानबीन करेगी, ट्रैफिक सिस्टम में भी देखने को मिलेगा बदलाव
- 10 Dec 2021