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हरदा

पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट पीड़ित धरने पर: हरदा बंद; बोले- सब तबाह हो गया, सवा लाख में दोबारा घर कैसे बनाएं?

  • 27 Feb 2024

हरदा। हरदा पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट के पीड़ितों के आह्वान पर हरदा के बाजार बंद हैं। मृतकों के परिजन और पीड़ित परिवार तीन दिन से धरना दे रहे हैं। उनका कहना है कि ह्यहमारे परिवार को न जाने किसकी नजर लगी, जो हम अपना घर-परिवार छोड़कर सड़क पर हड़ताल करने को मजबूर हैं, हम बिखर चुके हैं। जीवन भर की पूंजी खत्म हो गई। प्रशासन ने हमें सवा लाख रुपए दिए हैं। इतने से पैसे में हम दोबारा अपना घर कैसे बनाएं? हमें उचित मुआवजा दें और दोषी अफसरों पर केस करें।
पीड़ित लोगों का कहना है कि उन्हें बाजार मूल्य के हिसाब से मकानों का मुआवजा दिया जाए या फिर जैसे हमारे मकान बने थे वैसे ही बनाकर दिए जाएं। क्योंकि बीते 20 दिनों से उन्हें आईटीआई कॉलेज में बनाए गए राहत शिविर में रखा गया है। वहीं, इन परिवारों के लोग शुक्रवार से शहर के घंटाघर चौक पर भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं। उनका कहना है कि तीन सप्ताह बीत जाने के बाद भी हमारा जीवन पटरी पर नहीं लौट पाया। भूख हड़ताल पर बैठने वालों में 6 लोग पीड़ित परिवार के और 6 शहर के अलग-अलग समाज के लोग शामिल हैं। धरने पर बैठी तीन महिलाओं की तबीयत शनिवार को बिगड़ गई। उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
 धरनास्थल पर मंडी व्यापारी संघ के पदाधिकारियों ने सर्व समाज के लोगों के साथ चर्चा की। उनका कहना है कि हम तीन दिनों से हड़ताल कर रहे हैं, लेकिन कलेक्टर हमसे मिलने तक नहीं आए। न ही हमारी मांगों पर कोई बातचीत आगे बढ़ी। हालांकि, एसडीएम केसी परते का कहना है कि पीड़ितों का प्रतिनिधि मंडल कलेक्टर से मिल चुका है। कलेक्टर के आश्वासन पर धरना स्थल पर बैठे लोग लौट जाएंगे।
59 मकान क्षतिग्रस्त हुए, 39 पूरी तरह तहस-नहस
धमाके के कारण फैक्ट्री के नजदीक बने 59 मकान क्षतिग्रस्त हो गए थे। इनमें 39 मकान पूरी तरह से तहस-नहस हो गए, इन 39 में से 21 मकानों का निर्माण प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हुआ था। उस हादसे को हुए 20 दिन हो चुके हैं, लेकिन इससे प्रभावित हुए लोगों का जीवन दोबारा पटरी पर वापस नहीं लौट सका। 48 परिवारों के 129 लोगों को राहत शिविर में रखा गया है।
वहीं, कुछ पीड़ित परिवार के लोग हरदा में घंटाघर चौक पर भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं। उनका कहना है कि हमारी जीवनभर की पूंजी खत्म हो गई, प्रशासन ने हमें सवा लाख रुपए दिए हैं। इतने पैसे में हम अपना घर कैसे बनाएं। प्रशासन ने हमें सही से मुआवजा नहीं दिया। दोषी अफसरों पर भी केस दर्ज होना चाहिए।