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आगरा

पटना-कोटा एक्सप्रेस में यात्रियों की मौत: 17 घंटे मची चीख-पुकार

  • 21 Aug 2023

आगरा। काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन के बाद अगला पड़ाव मथुरा था। बम-बम भोले और कान्हा के गीत-भजन गाने के बाद लोगों ने भोजन किया। 10 बजे से लोगों को दस्त, उल्टी, पेट में दर्द, घबराहट की परेशानी होने लगी। 10:45 से हालत बिगड़ने लगी और शौचालय, सीट पर ही निढाल होते देख यात्रियों में चीख-पुकार मच गई।
एसएन में भर्ती उत्तम साहू के चचेरे भाई चेतन लाल ने बताया कि बनारस से शाम को करीब पांच बजे मथुरा के लिए रवाना हुए। 9 बजे खाने के बाद लोग सीटों पर सोने चले गए। कई लोगों ने खाना नहीं खाया था और आपस में बातचीत कर रहे थे। 10 बजे के बाद एक-एक करके लोग उठने लगे और पेट में दर्द, घबराहट की परेशानी बताई। उल्टी-दस्त होने पर घर से लाए दवाएं खाईं।
पौने ग्यारह बजे से तो तीनों बोगी में 35-40 यात्रियों को उल्टी-दस्त होने लगे। कई तो शौचालय में ही गिर पड़े, इनको लेकर आते तो सीट पर दूसरा साथी उल्टियां करने लगता। तीनों ही बोगियों में ये हाल देख लोग घबरा गए और चीखने-चिल्लाने लगे।
20 की सुबह 11 बजे तक दवाएं खत्म होने के बाद हालात और बिगड़ गए। गैलरी, सीट, शौचालय में लोग गिरे पड़े थे। लगता था कि अब किसी की जान नहीं बच पाएगी। आगरा कैंट स्टेशन आने तक दो की मौत हो चुकी थी। यहां आने के बाद इलाज मिला, जिससे बाकी की जान बच गई।
मृतका नेताम की बेटी सुनीति गंदर्भ ने बताया कि मां, बहन और भाभी के साथ यात्रा में आए। मैंने और भाभी ने भूख नहीं लगने के कारण खाना नहीं खाया था। खाने के घंटे-डेढ़ घंटे तो लोगों की हालत ही बिगड़ना शुरू हो गया। मां नेताम और छोटी बहन अनीता तो बेहोश हो गई। ऐसे ही और भी यात्रियों का हाल देख सभी के हाथ-पैर फूल गए। क्या करें, क्या न करें ये भी समझ में नहीं आ रहा था। वे 16-17 घंटे दिल दहला देने वाले थे।
मृतका नेताम की बहू भगवंती ने बताया कि बोगी ठसाठस भरी हुई थी। गर्मी और उमस से बुरा हाल था। ट्रेन के पंखे भी धीरे-धीरे चल रहे थे। इससे हालत और बिगड़ गई। ट्रेन के रुक-रुक कर और देरी से चलने के कारण और हालत बदतर हो गई। इन 16-17 घंटों में ट्रेन में आरपीएफ-जीआरपी के जवान भी नहीं आए। अगर कोई अधिकारी आ जाता तो मरीजों को इलाज मौके पर मिल जाता।
यात्री जयराम ने बताया कि सफर में 70 महिलाएं और 20 पुरुष थे, बच्चा कोई नहीं था। बनारस में सभी स्वस्थ थे। खाना खाने के घंटेभर बाद से हालत बिगड़ने लगी थी। हमारे साथ सरकारी अस्पताल की स्टाफ नर्स भी थी, जिसने दवाएं दीं, इससे कई यात्रियों के हालत में सुधार हुआ। लेकिन कई की हालत लगातार खराब हो रही थी। आगरा कैंट स्टेशन पर यात्रियों को इलाज मिलने से पहले ही दो की मौत हो गई।
साभार अमर उजाला