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फिल्म समीक्षा/ 'अजीब दास्तान्स' रिव्यू- असहज रिश्तों की चार कहानियां, मजबूत किरदार

  • 19 May 2021

'अजीब दास्तान्स' एक एंथोलॉजी यानि की संकलन है

इस फिल्म की कहानी शशांक खेतान ने ही लिखी है, जो कि लगभग 30 मिनट की है। टूटे रिश्तों और उलझे भावनाओं की यह कहानी औसत है या कह सकते हैं कि नयापन नहीं है। किरदार मजबूत हैं, लेकिन अभिनय के मामले में सिर्फ जयदीप अहलावत आकर्षित करते हैं। फातिमा की कोशिश अच्छी है, लेकिन वह हाव भाव में वो कामुकता नहीं ला पाती हैं, जिसकी कहानी को दरकार है। पुष्कर सिंह की सिनेमेटोग्राफी अच्छी है और कहानी को थोड़ा उठाती है।