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फांसी / सिर्फ इशारों में क्यों करते हैं बात?

  • 20 Dec 2019

निर्भया गैंगरेप के चारों दोषियों की फांसी की सजा बेहद नजदीक लग रही है। वे चारों सिर्फ कानूनी पहलुओं का सहारा लेकर सजा को टालने की कोशिशों में जुटे हैं। लेकिन, इस दौरान एक बहुत ही चौंकाने वाली बात सामने आई है कि फांसी को तामील किए जाते वक्त वहां मौजूद सारे लोग पूरी तरह से शांति बनाए रखते हैं। कोई किसी से जरा भी बात नहीं करता। उन्हें आपस में जो भी बात करनी होती है, वह सिर्फ इशारों में ही होती है और दोषी उससे पूरी तरह से अनजान होता है। आइए जानते हैं कि आखिर फांसी की तामील के दौरान ऐसी चुप्पी क्यों रखी 
जाती है?
फांसी के तख्ते के पास बोलने की होती है मनाही
मुंबई धमाकों के गुनहगार याकूब मेमन के बाद देश में किसी को फांसी की सजा नहीं दी गई है। इसलिए निर्भया के दोषियों को होने वाली फांसी की सजा को लेकर बहुत तरह की चर्चाए हो रही हैं। मेमन को नागरपुर सेंट्रल जेल में फांसी के तख्ते पर लटकाया गया था। निर्भया गैंगरेप और उसकी हत्या के गुनहगार दिल्ली के तिहाड़ जेल में कैद हैं, जहां जेल प्रशासन ने अपनी ओर से उनकी संभावित सजा की तामील के लिए सारी तैयारियां कर ली हैं। ऐसे में यह जानना बेहद रोचक है कि आखिर दोषियों को फांसी दिए जाते वक्त वहां मौजूद लोग आपस में कोई बात क्यों नहीं करते?
इस वजह से होती है इशारों में बात
फांसी के तख्ते के पास दोषी के अलावा उसे फांसी पर लटकाने वाला जल्लाद मौजूद होता है। इन दोनों के अलावा वहां पर पास ही में 4-5 पुलिसकर्मी भी मौजूद होते हैं और थोड़ी ही दूर पर जेल अधीक्षक, जेलर,डॉक्टर और संबंधित अधिकारी भी मौजूद होते हैं। लेकिन, इतने लोगों की मौजूदगी के बावजूद वहां आपस में किसी की कोई बात नहीं होती और सिर्फ इशारों में ही एक-दूसरे तक अपनी बात पहुंचायी जाती है। फांसी की प्रक्रिया को अंजाम देने वाले पवन ने बताया है कि ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि, दोषी परेशान न हो जाए या वह घबराकर कोई अजीब हालात न पैदा कर दे। यही वजह है कि वहां पर लोग सिर्फ इशारों में ही काम चलाते और सभी चुप्पी साधे रहते हैं। इसकी वजह से वहां क्या हो रहा होता है, इससे कैदी पूरी तरह से अनजान होता है।
यूपी से तिहाड़ आएंगे जल्लाद
इस बीच दिल्ली के तिहाड़ जेल प्रशासन ने यूपी से जल्लाद की मांग की है। उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (जेल) आनंद कुमार ने गुरुवार को बताया कि तिहाड़ जेल ने पत्र के माध्यम से प्रदेश में जल्लादों की उपलब्धता पर जानकारी मांगी थी। उन्होंने कहा कि हमारे पास फांसी देने के लिए दो अधिकृत जल्लाद लखनऊ और मेरठ जेल में उपलब्ध हैं, तिहाड़ जेल को जब भी आवश्यकता होगी, उन्हें दोनों उपलब्ध करा दिए जाएंगे। जेल विभाग को तिहाड़ जेल से नौ दिसंबर को फैक्स से यह पत्र मिला था। हालांकि, अभी यह नहीं बताया गया है कि किस मामले के लिए तिहाड़ को जल्लाद की जरूरत है।
बिहार के बक्सर जेल से मंगाई गई हैं रस्सियां
इस बीच तिहाड़ प्रशासन पहले ही बता चुका है कि बिहार के बक्सर जेल से फांसी के लिए 10 नई रस्सियों का ऑर्डर दिया है। बता दें कि फांसी के लिए बक्सर जेल के कैदी खास तरह की रस्सी तैयार करते हैं और यहीं से इसकी विभिन्न जेलों में जरूरतों के मुताबिक सप्लाई होती है। ये रस्सियां खास प्रकार की होती हैं, जिन्हें ऐसे बनाया जाता है कि फांसी के दौरान टूटने का खतरा न रहे और न ही इससे दोषी का गला कटना चाहिए। तिहाड़ जेल के पास इस काम के लिए पुरानी रस्सियां मौजूद थीं, लेकिन जेल प्रशासन कोई चांस नहीं ले रहा।
सात साल पहले 16 दिसंबर को हिल गया था देश
सात साल पहले 16 दिसंबर, 2012 की रात 23 साल की पैरामेडिकल की स्टूडेंट निर्भया के साथ 6 लोगों ने चलती बस में गैंगरेप किया था और उसके शरीर के साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थीं। निर्भया को इन दरिदों ने जघन्य वारदात के बाद उसके मित्र के साथ चलती बस से दक्षिणी दिल्ली के इलाके में नीचे फेंक दिया था। इस घटना को लेकर दिल्ली समेत पूरे देश में जन-आक्रोश उमड़ पड़ा। बाद में निर्भया ने सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इस केस के 6 में से एक आरोपी ने ट्रायल के दौरान ही जेल में ही खुदकुशी कर ली थी। जबकि, छठा आरोपी नाबालिग होने की वजह से बाल सुधार गृह में मामूली समय गुजार कर बरी हो चुका है। अब निर्भया के माता-पिता समेत पूरा देश उन बचे हुए चारों गुनहगारों की सजा-ए-मौत का इंतजार कर रहा है।