श्रीनगर। पुरस्कार और पैसे की खातिर आम नागरिकों को आतंकी बताकर फर्जी मुठभेड़ को अंजाम देने के मामले में आरोपी पुलिस कर्मी की जमानत अर्जी को कोर्ट ने खारिज कर दिया। पुलिस कर्मी फारूक अहमद पाडरू पर आरोप है कि उसने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर वर्ष 2006 में फर्जी मुठभेड़ को अंजाम दिया।
बांदीपोरा प्रधान सत्र न्यायाधीश ने कहा, दस्तरखान शीट बेचने वाले को बेरहमी से कत्ल कर दिया गया। उस समय पीड़ित की पत्नी गिड़गिड़ा रही थी। ऐसे हालात में जुर्म करने वाले को फिलहाल जमानत नहीं दी जा सकती। अभियोजन के अनुसार कोकरनाग के नौबग निवासी गुलाम नबी वानी दस्तरखान शीट बेचते थे।
उसे लाल चौक से सटे बिस्को स्कूल के पास से पुलिस टीम उठा ले गई। वानी के चार बच्चे हैं। जमानत याचिका पर प्रधान सत्र न्यायाधीश अमित शर्मा ने कहा, यह निर्मम हत्या का मामला है। आरोपी पुलिस अधिकारी और कर्मचारी हैं। इस मामले में वर्दी पहनने वाले कानून के रक्षकों ने ही हत्या को अंजाम देकर विश्वासघात किया है।
बचाव पक्ष ने ट्रायल में देरी की दलील दी है लेकिन यह देरी अभियोजन की ओर से नहीं है। इसके अलावा आरोपी ने जिस तरह से पीड़ित की रोती-बिलखती पत्नी की गुहार पर भी कोई नरम दिली नहीं दिखाई, उसे ध्यान में रखते हुए जमानत की याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
साभार अमर उजाला
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फर्जी मुठभेड़ के आरोपी पुलिस कर्मी की जमानत खारिज
- 08 Feb 2023