बिजली इंजीनियरों के राज्य स्तरीय संगठन ने किया दावा
इंदौर। कनिष्ठ एवं सहायक यंत्रियों के आंदोलन के कारण प्रदेश के बिजली कंपनियों को 500 करोड़ से अधिक का नुकसान होने का अनुमान जताया गया। बिजली इंजीनियरों के राज्य स्तरीय संगठन ने ही यह दावा किया है। मध्य प्रदेश विद्युत मंडल पत्रोपाधि अभियंता संघ के बैनर तले पूरे प्रदेश के सभी बिजली कंपनियों के कनिष्ठ एवं सहायक यंत्री महीनेभर से आंदोलनरत है। संघ के द्वारा लगातार कनिष्ठ एवं सहायक यंत्री की मांगों के निराकरण हेतु आंदोलन शुरू किया है।
15 सितंबर से शुरू हुए आंदोलन के दूसरे चरण में अब काम बंद की घोषणा भी कर दी गई है। आंदोलन के प्रथम चरण में सभी बिजली कंपनियों के सर्कल मुख्यालय पर प्रदर्शन कर ध्यानाकर्षण करते हुए ऊर्जा सचिव को ज्ञापन दिया गया था। द्वितीय चरण में 23 सितंबर को सभी बिजली कंपनियों के मुख्य अभियंता स्तर पर ध्यानाकर्षण कार्यक्रम करते हुए ऊर्जा मंत्री महोदय को ज्ञापन दिया गया।
10 अक्टूबर 2022 को सभी कंपनी मुख्यालय पर हजारों की संख्या में उपस्थित होकर आम सभा के माध्यम से प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री को 7 सूत्री मांगों के निराकरण हेतु ज्ञापन दिया गया।
मांगों पर सकारात्मक आश्वासन नहीं मिलने के बाद अब प्रदेश के सभी सहायक एवं कनिष्ठ यंत्री दिनांक 14 अक्टूबर से वर्क टू रूल पर है। इंजीनियरों ने राजस्व वसूली के काम बंद कर दिए हैं। दीवाली से पहले कंपनी के दिए लक्ष्यों को पूरा करने से भी इंजीनियरों ने इनकार कर दिया है।
ऐसे में अनुमान लगाया गया है कि 2 दिनों में तीनों बिजली कंपनियों को अभी तक 100 करोड़ से अधिक का राजस्व नुकसान होने का अनुमान है यदि इसी प्रकार बिजली कंपनी एवं शासन के द्वारा पहल करते हुए मांगों के निराकरण हेतु सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया तो प्रदेश की बिजली कंपनियों को 500 करोड़ से अधिक का राजस्व नुकसान का अनुमान है।
इंदौर
बिजली इंजीनियरों के आंदोलन से वितरण कंपनियों को 500 करोड़ से ज्यादा के नुकसान की आशंका
- 18 Oct 2022