नर्मदा नदी के राजघाट कुकरा गांव में 4 महीने कैद रहेंगी 67 जिंदगियां
बड़वानी। जिले में बारिश का दौर जारी है। हालांकि, झमाझम बारिश का इंतजार अभी बाकी है। इसके बावजूद नर्मदा का जलस्तर बढ़ रहा है। वजह ओंकारेश्वर परियोजना के बांध की 4 टरबाइन से लगातार पानी का छोड़ा जाना। लगातार पानी आने से राजघाट कुकरा गांव में नर्मदा के जलस्तर में 2 मीटर से ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है। जैसे-जैसे पानी बढ़ रहा है, जिला मुख्यालय से 5 किमी दूर डेढ़ एकड़ क्षेत्रफल में बसे राजघाट कुकरा गांव के 17 परिवारों की सांसें भी तेज होती जा रही हैं। उन्हें डर है कि अगर इस बार प्रशासन ने नाव की व्यवस्था नहीं की तो बारिश के चार महीने उन्हें गांव में ही कैद होकर रहना पड़ेगा।
टीम साल 2018 में विस्थापित हुए कुकरा गांव पहुंची। यहां रहने वाले लोगों से बातचीत की तो उन्होंने मुआवजा नहीं मिलने का दावा किया। साथ ही कहा कि हमें ऐसी जमीनें दी थीं, जो किसी काम की नहीं। ऐसे में हम लौट आए। इस साल अगर प्रशासन ने कोई इंतजाम नहीं किया तो 4-5 महीने पानी में कैद होकर रहना पड़ेगा। इमरजेंसी में तो भगवान ही मालिक है।
बड़वानी से 5 किलोमीटर दूर बसा कुकरा गांव-
मप्र के बड़वानी जिला मुख्यालय से महज किलोमीटर दूर नर्मदा नदी के किनारे पर कुकरा गांव बसा हुआ है। गांव में अब 67 लोग रहते हैं। बाकी परिवार विस्थापित होकर दूसरी जगह चले गए। कुछ यहां रहने वाले लोगों के बच्चे और महिलाएं बारिश के चार माह बड़वानी चले जाते हैं। जो शहर का खर्च उठा पाने में सक्षम नहीं हैं, वे रिश्तेदारों के यहां डेरा डालते हैं। गांव की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहां सितंबर से जून तक कभी भी आया जाया जा सकता है। पहली नजर में यह जगह किसी पर्यटन स्थल जैसी दिखती है, लेकिन जैसे ही जुलाई का महीना शुरू होता है। यहां मुश्किलें बढऩा शुरू हो जाता है। पहले सप्ताह में मानसून की बारिश के बाद न तो यहां से कोई बाहर जा सकता है और न ही कोई अंदर।
इसकी वजह यह है कि जैसे-जैसे नर्मदा का जलस्तर बढ़ता जाता है, बैक वाटर गांव के चारों तरफ फैल जाता है। अगर नर्मदा का जलस्तर 130 मीटर से अधिक पहुंच जाए तो गांव से चार किलोमीटर दूर तक पानी ही पानी होता है। यहां आने के लिए नाव ही एकमात्र सहारा है। पहली बार जब 2018 में गांव में डूब का पानी भराया तब प्रशासन ने नाव की व्यवस्था की थी। इसके बाद से साल 2022 तक यह सुविधा ग्रामीणों को मिलती रही, लेकिन अबकी बार प्रशासन ने ऐसे कोई इंतजाम नहीं किए हैं।
123 मीटर खतरे का निशान-
बड़वानी से 5 किलोमीटर दूर राजघाट में नर्मदा के जलस्तर के खतरे का निशान 123.300 मीटर है, जबकि मंगलवार शाम 5:30 बजे की स्थिति में जलस्तर 121 मीटर पहुंच गया है। बीते सप्ताह तक का जलस्तर 118 मीटर के करीब था। फिलहाल नर्मदा का जलस्तर राजघाट में खतरे के निशान से 2.300 मीटर नीचे है। ऐसे में लोग स्नान करने पहुंच रहे हैं। हालांकि, जलस्तर बढऩे से अब गहरे पानी में खतरा बढऩे लगा है। 127.300 मीटर जलस्तर होने पर पुराना पुल डूब जाता है, जबकि 130 मीटर की स्थिति में राजघाट का सडक़ संपर्क बंद हो जाता है।
बड़वानी
बाढ़ से चौतरफा घिरे परिवारों की दर्दभरी दास्तां
- 06 Jul 2023