मैं एक साधारण सा स्वतंत्र लेखक हूं... और महापौर के इस कथन से...कतई सहमत नहीं हूं... और बहुत सारे लोगों से... इस विषय पर बात भी की... कोई भी व्यक्ति महापौर के इस कथन से...सहमत नजर नहीं आया... ऐसे क्या कारण है... जिनके कारण अफसर... निर्णय कर रहे हैं...और महापौर को वह बता भी नहीं रहे हैं... जब महापौर को ही वे अगर नहीं बता रहे हैं...या महापौर का महत्व वह नहीं समझ रहे हैं...तो जनता के प्रतिनिधि... एक पार्षद की अहमियत...नगर निगम में अफसरों के सामने क्या होगी...? मैं महापौर के इस कथन से एकदम असहमत हूं...महापौर का मतलब शहर का पहला व्यक्ति... और पूरे शहर का एक तरह से... सरक्षण करने वाला... नीति निर्धारण को पालन कराने वाला... अगर वही व्यक्ति असहाय...असमर्थ... और मजबूर होगा...तो कैसे वह शहर...महापौर परिषद और पार्षदों के मान सम्मान की रक्षा कर पाएगा...विवार को समझ रहे हैं...क्या अफसर इतने अधिक पावरफुल हैं...कि वह निर्वाचित जनप्रतिनिधि का...मान और सम्मान नहीं रख पा रहे हैं...अगर वह नहीं भी रख पा रहे हैं तो...मैं कम से कम महापौर की इस बात से सहमत नहीं हूं...अगर महापौर नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं... तो भी कम से कम...सार्वजनिक रूप से महापौर को...इस तरह का व्यक्तवय नहीं देना चाहिए...इससे होगा यह की... जो अफसर अभी महापौर की सुन रहे हैं...वह भी महापौर की बात को नहीं सुनेंगे... फिर इस शहर का क्या होगा... मतलब "अंधेर नगरी चौपट राजा"... वाली कहावत सही होती नजर आएगी... गाहे-बगाहे कई बार... यह सुनने में आता रहता है कि...पार्षद शिकायत करते रहते हैं कि...अधिकारी उनकी नहीं सुन रहे हैं... जब पार्षद यह कहता है तब बड़ा चिंतन होता है... पार्षद भी जनप्रतिनिधि है... वह निजी स्वार्थ के लिए संभवत... कोई काम नहीं करता है...स्वयं को असहाय प्रकट करना...मैं समझता हूं ठीक नहीं होगा...पहले तो आपसे शहर ने... यह उम्मीद लगाई थी कि... आप घिसी पिटी राजनीति के मोहरे नहीं होंगे...चेहरे भी नहीं होंगे... आप शहर का दर्द अच्छे से समझ पाएंगे... लेकिन ऐसी घटनाओं से... आपका व्यक्तित्व धूमिल होता नजर आएगा... महापौर का व्यक्तित्व...शहर का व्यक्तित्व होता है... अफसर का काम करने का तरीका... अपना हो सकता है... लेकिन निर्वाचित जनप्रतिनिधि को...अवाइट करना... सामान्य सिद्धांत के विपरीत है... यह व्यवहारिक सिद्धांत के विपरीत है...
विवाद शहर में एलईडी लाइट लगाने की बात पर सामने आया है... कंपनी ने जो भी विवाद किया हो... वह अपनी जगह... शहर में led लगना थी... कुछ जगह लगी कुछ शायद नहीं लगी... यह विवाद है...और अफसरो ने शायद अपने स्तर पर कुछ निर्णय लिया... इस कारण से शहर के हित में होने वाले... काम पर विपरीत असर पड़ा है...और उसी से... महापौर की बात में पीडा नजर आया है... जनप्रतिनिधि का व्यवहार निर्णायक और जनहित में होना भी चाहिए... और उनको यह पीड़ा भी होना चाहिए कि... उनके दायित्वों का अगर वह निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं...किसी भी कारण से... चाहे फिर वह अफसर का ना सुनना ही क्यों ना हो...यह उनके व्यक्तित्व और दायित्व को धूमिल करता है...।
शेष फिर...
एल एन उग्र
शहर नामा
विविध क्षेत्र
बकोल महापौर इंदौर... सारे फैसले अफसर करते हैं...हमें बताते भी नहीं हैं...
- 14 Aug 2023