भोपाल। वंश चलाने के लिए भले ही समाज में लड़कों की चाहत बरकरार हो, लेकिन बच्चों को गोद लेने में बालिकाओं की संख्या ज्यादा है। ऐसे कई लोग हैं जो बेटियों को गोद लेकर अपने घर और जीवन को रोशन कर रहे हैं। मप्र महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ें भी यह बता रहे हैं कि मध्यप्रदेश में तीन साल में 440 बच्चों को गोद दिया गया, जिनमें 195 बालक और 245 बालिकाएं थीं। यानी 55.4 फीसद बालिकाएं और 44.3 फीसद बालकों को गोद लिया गया।
वहीं गोद लेने के लिए आये आवेदनों में बेटियों को प्राथमिकता देने वाले लोगों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। प्रदेश में वर्ष 2021-22 में 17 मार्च तक 63 बालिकाएं गोद ली गईं। वहीं बालकों की संख्या 60 रही। ऐसे ही 2020 में 50 बालक और 98 बालिकाएं गोद ली गईं। समाजशास्त्री का कहना है कि आजकल लोग बेटों की अपेक्षा बेटियों को बुढ़ापे का सहारा मान रहे हैं, क्योंकि बेटियां संवेदनशील होती हैं और जीवनभर साथ निभाती हैं। वहीं केंद्रीय दत्तक ग्रहण प्राधिकरण (कारा) के मुताबिक हर साल औसतन करीब 25 हजार दंपती गोद लेने के लिए आवेदन करते हैं। इसमें विदेशी भी शामिल हैं।
बेटियां हर रीति-रिवाज निभा रही हैं
समाजशास्त्री प्रो रमा सिंह का कहना है कि आजकल बेटियां समाज के हर रीति-रिवाज को निभा रही हैं। चाहे वो अंतिम संस्कार जैसी रस्?म ही क्यों ना हो। इसके अलावा वे माता-पिता से भी भावनात्मक रूप से जुड़ी होती हैं। यही कारण है कि आज कई लोगों को बेटियां भी होती हैं तो वे बेटों की चाहत नहीं रखते हैं। एक बेटी के जन्म के बाद ही परिवार को पूर्ण मानते हैं।
केस- 1
सरकारी विभाग में कार्यरत एक दंपती को शादी के दस साल बाद भी बच्चा नहीं हुआ था। जब बच्चा गोद लेने की बात हुई तो उनके घर वाले बेटा गोद लेना चाहते थे, लेकिन दंपती ने बेटी गोद लेना पसंद किया। आज उनकी बेटी बारहवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही हैं।
केस- 2
बहुराष्ट्रीय कंपनी में पदस्थ एक साफ्टवेयर इंजीनियर के यहां एक बेटा था। उन्हें दूसरी संतान बेटी चाहिए थी, लेकिन डाक्टर ने उन्हें दूसरे बच्चे के लिए मना कर दिया था। इसके बाद दंपती ने एक बेटी को गोद लिया। वे दोनों बच्चों की एक बड़े निजी स्कूल से पढ़ाई करा रहे हैं।
तीन साल में गोद दिए गए- 440 बच्चे
बालक - 195
बालिका- 245
बच्चों को गोद लेने के लिए आने वाले दंपती सबसे ज्यादा बालिकाओं को पसंद कर रहे हैं। लोगों की मानसिकता में बदलाव आया है। यह अच्छी बात है।
- विशाल नाडकर्णी, संयुक्त संचालक, महिला बाल विकास विभाग, मप्र
भोपाल
बदल रहा समाज, गोद लेने के लिए लाड़ली बनी पहली पसंद
- 18 Apr 2022